तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे रद्द कर दिया है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल तलाक भारतीय संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन माना. पांच जजों की खंडपीठ में से तीन जजों ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ फैसला सुनाया जबकि दो जजों ने ट्रिपल तलाक के पक्ष में अपना फैसला दिया.
नई दिल्ली: तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे रद्द कर दिया है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल तलाक भारतीय संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन माना. पांच जजों की खंडपीठ में से तीन जजों ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ फैसला सुनाया जबकि दो जजों ने ट्रिपल तलाक के पक्ष में अपना फैसला दिया.
जस्टिस कुरियन जोसफ, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस यू यू ललित ने कहा कि ट्रिपल तलाक गलत है और इसे खत्म होना चाहिए जबकि चीफ जस्टिस जे एस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर ने ट्रिपल तलाक के पक्ष में फैसला सुनाया. गौरतलब है कि इस मामले पर 11 मई को सुनवाई शुरू हुई थी और सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुनवाई के दौरान जस्टिस कुरियन ने कहा कि चीफ जस्टिस के इस बात से इत्तेफाकर रखना बहुत मुश्किल है कि ट्रिपल तलाक इस्लाम का अभिन्न अंग है. जस्टिस कुरियन ने कहा कि ट्रिपल तलाक पवित्र कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है साथ ही ये शरिया कानून के खिलाफ है.
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