नई दिल्ली : इस साल विघ्नहर्ता आपके घर 10 नहीं बल्कि पूरे 11 दिन के लिए आएंगे, 25 अगस्त को गणेश चर्तुथी मनाई जाएगी. आप अगर किसी शुभ काम की शुरुआत करने चाहते हैं तो इस दिन कर सकते हैं क्योंकि गणेश चर्तुथी का दिन बेहद ही शुभ माना जाता है. आज हम आपको अपनी खबर के माध्यम से गणेश चर्तुथी का महत्व, पूजा विधा आदि के बारे में बताने जा रहे हैं.
क्या है गणेश चर्तुथी का महत्व
बप्पा के भक्तों को गणेश चर्तुथी का इंतजार काफी बेसब्री से रहता है, साल भर में आने वाली चर्तुथियों पर आप गणपति जी की पूजा करने से घर में संपन्नता, समृद्धि, सौभाग्य और धन की समावेश होता है. गणेश चर्तुथी को सबसे बड़ी चर्तुथी माना गया है. इस दिन के किए गए व्रत और पूजा का भी विशेष महत्व है.
पूजा-विधि
गणपति बप्पा की मूर्ति को घर में स्थापित करने के बाद विघ्नहर्ता की पूजा शुरू की जाती है, एक बात हमेशा याद रखें और वो ये है कि बप्पा की मूर्ति लाने से पहले घर में अगरबत्ती और धूप, आरती थाली, सुपारी, पान के पत्ते और मूर्ति पर डालने के लिए कपड़ा, चंदन के लिए अलग से कपड़ा और चंदन आदि चीजें तैयार रखें.
पूजा शुरू करने से पहले आरती की थाली में अगरबत्ती-धूप जलाएं, इसके बाद थाली में पान के पत्ते और सुपारी रखें. ऐसा करते समय ‘ ऊं गं गणपतये नम:’ का जाप करते रहें, अगर आप ये सब पुजारी जी से करा रहे हैं तो उन्हें दक्षिणा भी अर्पित करें. गौर करने वाली बात ये है कि जो भी भक्त चर्तुथी से पूर्व ही बप्पा की मूर्ति घर ला रहे हैं उन्हें मूर्ति को कपड़े से ढककर लाना चाहिए और जिस दिन मूर्ति स्थापना करें उस समय ही कपड़ा हटाएं.
पूजा के लिए सामाग्री
गणपति जी की पूजा करने से पूर्व आपके लिए ये जानना जरूरी है कि घर में बप्पा की मूर्ति स्थापित करते वक्त आपको लाल फूल, दूर्वा, मोदक,नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्ती.