नई दिल्ली : सड़क हादसों में बाइक सवार की जान जाने की खबरें अक्सर आती हैं और फिर जेहन से जल्द उतर जाती हैं, लेकिन सवाल सिर्फ बाइक एक्सिडेंट या फिर किसी एक जान का नहीं है बल्कि सवाल उस खतरनाक बीमारी का है जिसने करीब-करीब पूरे हिंदुस्तान को अपनी चपेट में ले लिया है. खास मौके पर मिलने वाला एक तोहफा कैसे चलती फिरती मौत बन जाता है. बाइक रेसिंग की बीमारी ने हिंदुस्तान के युवा वर्ग को अपनी चपेट में ले लिया है.
भारत में तेज रफ्तार बाइक दौड़ाने का क्रेज तेजी से बढ रहा है और उसी रफ्तार से हादसों में भी इजाफा हो रहा है. दिल्ली में नौजवान इस बीमारी का ताजा शिकार हुआ है, लेकिन विदेशों में बाइक रेसिंग का रोग बहुत पुराना है जिसकी वजह से हज़ारों लोग अपनी जान गंवाते हैं, लेकिन ये बीमारी कम या खत्म होने के बजाये तेजी से फैल रही है.
विदेशों में अगर बाइक रेस की बीमारी तेजी से फैली है तो इसका इलाज भी ढूंढ निकाला गया. जी हां, विदेशों में पुलिस के पास हाईस्पीड और सुपर बाइक्स हैं जिनसे बेलगाम बाइकर का पीछा कर उन्हें पकड़ा जा सकता है, लेकिन हिंदुस्तान में ऐसा नहीं है. रेसिंग के लिए भारत में सुपर बाइक्स तो मिलती हैं, लेकिन इन बाइकर्स का पीछा करने के लिए पुलिस के पास जो बाइक है. ना उनकी स्पीड ज्यादा है और ना ही मजबूती. यानी ये बाइक पीछा करने के लिए बिल्कुल मुफीद नहीं है.
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