‘नन्द के आनंद भये जे कन्हैया लाल की’, भगवान श्रीकृष्ण ने आपके घर में लिया जन्म

देशभर में भक्त हिन्दुओं का सबसे प्रसिद्ध त्योहार जन्माष्टमी का इंतजार खत्म हो गया है. श्रीकृष्ण ने जन्म ले लिया है और 'भक्त नंद के आनंद भये जय कन्हैया लाल की' गा रहे हैं. मथुरा में कृष्ण के जन्म के बाद उनका पंचामृत से अभिषेक किया गया.

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‘नन्द के आनंद भये जे कन्हैया लाल की’, भगवान श्रीकृष्ण ने आपके घर में लिया जन्म

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  • August 15, 2017 6:29 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: देशभर में भक्त हिन्दुओं का सबसे प्रसिद्ध त्योहार जन्माष्टमी का इंतजार खत्म हो गया है. श्रीकृष्ण ने जन्म ले लिया है और ‘भक्त नंद के आनंद भये जय कन्हैया लाल की’ गा रहे हैं. मथुरा में कृष्ण के जन्म के बाद उनका पंचामृत से अभिषेक किया गया. ये अभिषेक दूध, दही, शहद घी और 56 प्रकार वनौषधियों को मिला कर किया जा रहा है.
 
बता दें कि लड्डू गोपाल को धरती पर भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना गया है. भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं, क्योंकि यह दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस माना जाता है. इसी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था.
 
 
क्या है जन्माष्टमी का महत्व 
श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में कंस नाम का एक निर्दयी राजा का राज था जिस कारण प्रजा कभी उससे खुश नहीं थी. कंस अपनी छोटी बहन देवकी से बहुत प्यार करता था, निर्दयी राजा ने अपनी बहन का विवाह वासुदेव के साथ करा दिया, उसी वक्त एक भविष्यवाणी हुई कि देवकी का आठवां बेटा उसकी मौत का कारण होगा. 
 
ये सुनने के बाद निर्दयी और क्रुर राजा कंस ने अपनी बहन और वासुदेव को बंदी बनाया और कारागार में डलवा दिया, इस दौरान कंस ने देवकी द्वारा जन्म दी गई 6 संतानों का बड़ी ही बेरहमी से वद कर दिया. देवकी की सातवीं संतान के बारे में कंस को पता चला कि उनका गर्भपात हो गया लेकिन वह रहस्यमय ढंग से वृंदावन की राजकुमारी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर चुके थे और बड़े होकर भगवान कृष्ण के भाई बलराम बने.
 
 
लड्डू गोपाल के जन्म के वक्त वासुदेव कृष्ण को नंद और यशोदा के पास ले जाने के लिए वृंदावन की ओर प्रस्थान किया लेकिन उस दिन तूफान और भारी बारिश के वजह से एक टोकरी को अपने सिर पर रख नदी पार करी और नदी पार करने में शेषनाग ने भी उनकी मदद की. वृंदावन पहुंचने के बाद वासुदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को नंद को सौंप दिया और वहां से एक बच्ची के साथ वापस कारागार में लौट आए. 
 
 
कंस को जब देवकी की इस संतान के बारे में पता चला तो वह उसे भी मारने के लिए गया तो बच्ची ने मां का रूप ले लिया और फिर कंस की मृत्यु की चेतवानी दी. बता दें कि कुछ सालों बाद लड्डू गोपाल ने कंस का वध किया और फिर श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा एक बार फिर खुशहाल राज्य बन गया.

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