Mahavir Jayanti 2019: देशभर में आज भगवान महावीर की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है. भगवान महावीर की जयंती को दुनिया के कई देशों में जैन धर्म को मानने वाले लोग पूरी शिद्दत के साथ सेलिब्रेट करते हैं. भगवान महावीर के दिए अनमोल वचन आज भी प्रासंगिक हैं. भगवान महावीर ने जियो और जीने देने का संदेश दिया.
नई दिल्ली. देशभर में महावीर जयंती पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है. महावीर जयंती जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले भगवान महावीर की जयंती का विशेष महत्व है. स्वामी महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे. हिंदू धर्म के पंचांग के मुताबिक महावीर ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जन्म लिया था. महावीर को जैन धर्म का अंतिम तीर्थंकर माना जाता है. इसी वजह से महावीर को मतावलंबी भी कहा जाता है. भगवान महावीर सिर्फ जैन धर्म के लिए ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के लिए भी प्रेरणा स्रोत रहे. भगवान महावीर के अनमोल वचन आज भी प्रासंगिक हैं.
भगवान महावीर ने हमेशा जियो और जीने देने का का संदेश दिया. उन्होंने अपने अनुयायियों को हमेशा अंहिसा, सत्य, अक्षत, ब्रह्मचार्य और स्वत्व-त्याग का पालन करने को कहा. भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मौजूद जैन धर्म को मानने वाले लोग महावीर जयंती को एक फेस्टिवल के रूप में सेलिब्रेट करते हैं. आइए हम आपको महावीर के कुछ अनमोल वचनों के बारे में बताते हैं.
भगवान महावीर ने कहा कि मनुष्य के दुखी होनों की उसकी उसकी खुद की गलतियां हैं. जो व्यक्ति अपनी गलतियों पर काबू पा सकता है उसी मनुष्य को सच्चे सुख की प्राप्ति हो सकती है.
भगवान महावीर का कहना था कि मनुष्य को कितनी भी आपात स्थितियां आ जाएं लेकिन अपने पथ से भटकना नहीं चाहिए उसे अपने पथ पर कर्तव्यनिष्ठ होकर डटे रहना चाहिए.
स्वामी महावीर ने अपने अनमोल वचनों में कहा कि आत्मा अकेले आती और अकेले जाती है. उसका न तो कोई साथ देता और न ही उसका कोई साथी होता है. स्वामी महावीर के मुताबिक मनुष्य को खुद पर विजय प्राप्त करनी चाहिए. अपने ऊपर विजय प्राप्त करने का मतलब लाखों शत्रुओं पर जीत है.
स्वामी महावीर ने अपने अनमोल वचनों में कहा कि अगर आपने किसी के से साथ परोपकार किया है तो उसे भूल जाओ. इसी तरह अगर किसी ने आपके साथ बुरा व्यवहार किया है तो उसे भी भूल जाओ.
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महावीर के अनुसार आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है. असली शत्रु आपके भीतर शत्रु, क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत के रूप में रहते हैं जिन मनुष्य को विजय पाना चाहिए.
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