नई दिल्ली. स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में राष्ट्रपति कोविंद ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी. साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के सभी सेनानियों को याद किया. साथ ही इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार के नोटबंदी के फैसले से देश में ईमानदारी की प्रवृत्ति बढ़ी है.
उन्होंने संबोधन के दौरान कहा कि देश की आजादी में सरदार भगत सिंह, अशफाकुल्ला खान, चंद्रशेखर आजाद और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि का बहुत बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि वे स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के ऋणी है
उन्होंने कहा कि गांधीजी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं. बापू का गांव गरीब का विकास करना सपना था. सुभाषचंद्र बोस ने जब ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया तो सभी देशवासियों ने उनका साथ दिया.
उन्होंने आजादी की लड़ाई में पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल जैसे महान नेताओं के योगदान का का भी जिक्र किया. साथ ही कहा कि राष्ट्र की आजादी में हर स्वतंत्रता सेनानी का बराबर योगदान है.
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया है पर देश को स्वच्छ बनाना हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कानून बना सकती है पर कानून का पालन जनता को ही करना है.’
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि नेहरु ने सदियों से चली आ रही परंपरा और संस्कृति को तकनीक से जोड़ने का रास्ता बताया है. नेहरु ने परंपरा और टेक्नॉलॉजी के साथ मिवकर काम करना सिखाया. उन्होंने कहा कि गांधी ने चरित्र निर्माण का कार्य सिखाया और पटेल ने राष्ट्रीय एकता का धर्म.
उन्होंने कहा कि नेहरू और अंबेडकर की भूमिका को नहीं भूलाया जा सकता. साथ ही उन्होंने संबोधन के जरिये समाज के लोगों की भागीदारी का आव्हान किया. उन्होंने कहा कि आज फिर से समाज में भागीदारी और सहायता की भावना जगाने की कोशिश करनी चाहिए. समाज सेवा का भाव, सम्मान करने का भाव हम भारतीयों के रग-रग में बसा है.
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति रही है पड़ोसी की मदद करने की. उन्होंने कहा कि जरूरत के समय अगर पड़ोसी की मदद करेंगे तो वे भी उनकी मदद करेंगे.
राष्ट्रपति ने समाज के सभी तबकों का आह्वान किया जो राष्ट्र निर्माण में अपने स्तर से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार स्वच्छ भारत का अभियान चला रही है, मगर इसकी जिममेदारी हम सबकी है. हम सबको अपने स्तर से इसे समझना होगा.
उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत ये बात याद रखनी चाहिए कि बेटियों के साथ भेदभाव न हो. उन्होंने कहा कि सरकारें कानून बना सकती हैं, मगर उसका पालन करना जनता के हाथ में होता है. इसलिए कानून का पालन करने की जिम्मेवारी देश के नागरिकों की है.
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार दूर करने पर काम कर रही है. मगर रोजमर्रा के कार्यसंस्कृति को ठीक रखना हम सबकी जिम्मेवारी है. जीएसटी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जीएसटी देश में बड़ा बदलाव लाएगा. हमें टैक्स देने में गर्व महसूस करने की भावना को जगाना होगा.
उन्होंने कहा कि देश की जनता ने जीएसटी को स्वीकारा है. जीएसटी से देश को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि 2022 में न्यू इंडिया का लक्ष्य रखा गया है. इस न्यू इंडिया में गरीबी की कोई जगह नहीं होगी. हमें कुछ ऐसा करना है कि न्यू इंडिया हमारे डीएनए में रचे-बसे.
उन्होंने कहा कि न्यू इंडिया का मतलब है कि जहां हम खड़े हैं उससे आगे जाए. हमारे देश में किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए. राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने टैक्स प्रणाली में क्रांतिकारी सुधार किये.
नोटबंदी का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि नोटबंदी के बाद देश में ईमानदारी की भावना मजबूत हुई है. नोटबंदी के समय देश ने धैर्य का परिचय दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि नोटबंदी भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी लड़ाई साबित हुई है. अब देश को और आगे ले जाने के लिए आधुनिक तकनीक को ज्यादा इस्तेमाल करना होगा. आज विश्व पटल पर भारत की छवि मजबूत हुई.
राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधन में देश की सेना से लेकर किसान तक के योगदानों का जिक्र किया. साथ ही उन्होंने कहा कि ये लोग अपने निस्वार्थ भावना से देश की सेवा करते हैं. उन्होंने राष्ट्र निर्माण में लगे समाज के हर तबके लोगों के योगदान को सराहा और आगे आने के लिए अपील की.
उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए भावी पीढ़ी पर ध्यान देना चाहिए. समाज में गरीब बच्चों की मदद करनी चाहिए, उनकी पढ़ाई में समाज के लोगों का योगदान होना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि आज भारत महान उपलब्धियों के प्रवेश द्वार पर खड़ा है.