Jaware Visarjan Vidhi Muhurt: चैत्र नवरात्रि का समापन रामनवमी के दिन होता है. इसके बाद दशमी को जवारे विसर्जन किया जाता है. इस साल चैत्र शुक्ल दशमी रविवार 14 अप्रैल को है. जानिए दशमी के दिन जवारे विसर्जन का महत्व, शुभ मुहूर्त और विधि.
नई दिल्ली. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन रामनवमी मनाई जाती है. रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्रि का समापन होता है. नवरात्रि का पर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है, पूजा गृह में जवारे बोए जाते हैं और नवरात्रि के नौ दिनों तक उन्हें वहीं रखा जाता है. इसके बाद नौ दिनों तक मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवमी के दिन कन्या पूजा कर नवरात्रि व्रत का पारण किया जाता है. इसके अगले दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को जवारे विसर्जन किया जाता है. इस साल रविवार 14 अप्रैल को दशमी के दिन जवारे विसर्जन किया जाना है. आइए जानते हैं जवारे विसर्जन की क्या है पूरी विधि और शुभ मुहूर्त.
जवारे विसर्जन की विधि-
– सबसे पहले नहा-धोकर शुद्ध वस्त्र धारण करें और देवी मां की आराधना करें.
– मां दुर्गा की अक्षत, फल, फूल आदि से पूजा करें.
– इसके बाद हाथ में चावल और फूल लेकर यह मंत्र पढ़ें और जवारे का विसर्जन करें-
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि,
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च.
– जवारे विसर्जित कर उन्हें फेंके नहीं बल्कि घर-परिवार में बांट दें.
– नवरात्रि पूजा के बाद जवारों में मंत्र जाप की शक्ति होती है और इन्हें खाने से यह शक्ति हमारे शरीर में आ जाती हैय
– नवरात्रि के दौरान पूजा में उपयोग ली गई पूजन सामग्री का भी विसर्जन कर दें.
क्या है जवारे विसर्जन का शुभ मुहूर्त-
चैत्र नवरात्रि के बाद दशमी के दिन जवारे का विसर्जन किया जता है. रविवार को सुबह 10 बजे तक नवमी तिथि रहेगी, इसके बाद दशमी शुरू होगी. आप सुबह 11 बजकर 20 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक जवारे का विसर्जन किया जा सकता है. इसके बाद दोपहर 2 बजे से लेकर 3 बजकर 25 मिनट तक भी जवारे विसर्जन का शुभ मुहूर्त रहेगा.
गुरु मंत्र: जीवन और बिजनेस में सफलता पाने के अचूक ज्योतिषिय उपाय जानिए