नई दिल्ली. संत समाज को राह दिखाते हैं. उन्हें अंधेरे के बीच उम्मीद का उजाला समझा जाता है. लेकिन अगर संतों की साख पर ही सवाल खड़े होने लगे तो फिर उन पर आस्था रखनेवालों को चोट पहुंचने लगती है. इलाहाबाद में गुरु पूर्णिमा के दिन एक ऐसे व्यक्ति को महामंडलेश्वर की पदवी दे दी […]
नई दिल्ली. संत समाज को राह दिखाते हैं. उन्हें अंधेरे के बीच उम्मीद का उजाला समझा जाता है. लेकिन अगर संतों की साख पर ही सवाल खड़े होने लगे तो फिर उन पर आस्था रखनेवालों को चोट पहुंचने लगती है. इलाहाबाद में गुरु पूर्णिमा के दिन एक ऐसे व्यक्ति को महामंडलेश्वर की पदवी दे दी गई जो रीयल एस्टेट और बीयर बार के कारोबार से जुड़ा है.
गुरु पूर्णिमा के दिन मठ बगम्बरी गद्दी आश्रम में एक भव्य समारोह में स्वामी सच्चिदानंद गिरी जी महाराज का पट्टाभिषेक कर उन्हें निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया. इस मौके पर साधु संतों के साथ यूपी के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव भी मौजूद थे.
कार्यक्रम की जगह पर हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश भी की गई. कहा जा रहा है कि सच्चिदानंद गिरी को महामंडलेश्वर बनाने की अनुशंसा अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशानंद ने की थी. आज जनगणमन में इसी बात पर चर्चा की गई कि कैसे धर्म पर भारी पड़ा धंधा ? आखिर बीयर बार चलाने वाले को महामंडलेश्वर क्यों बना दिया ?