अयोध्या मामले में सुप्रीम सुनवाई अब बाबरी विध्वंस की बरसी के एक दिन पहले

अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर सात साल बाद आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. हालांकि, आज कुछ कोर्ट में कुछ ज्यादा नहीं हो पाया और कोर्ट ने अब इस मामले में सुप्रीम सुनवाई अब बाबरी विध्वंस की बरसी के एक दिन पहले यानी कि 5 दिसंबर तय की है. बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना हुई थी.

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अयोध्या मामले में सुप्रीम सुनवाई अब बाबरी विध्वंस की बरसी के एक दिन पहले

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  • August 11, 2017 11:11 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर सात साल बाद आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. हालांकि, आज कुछ कोर्ट में कुछ ज्यादा नहीं हो पाया और कोर्ट ने अब इस मामले में सुप्रीम सुनवाई अब बाबरी विध्वंस की बरसी के एक दिन पहले यानी कि 5 दिसंबर तय की है. बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना हुई थी. 
 
आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सारी मौखिक गवाही के दस्तावेजों का अंग्रेजी अनुवाद करने के लिए 12 हफ्ते का समय दिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी.
 
बता दें कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में मौजूद आठ भाषाओं के हजारों का कागजात का अनुवाद होगा. कोर्ट ने कहा है कि ऊत्तर प्रदेश सरकार इसका अनुवाद करेगी और दस हफ्ते के भीतर ही यूपी सरकार को ही कोर्ट में अनुवादित कागजात सौंपने हैं. 
 
 
हिंदी, पारसी, उर्दू, पाली, संस्कृत, पंजाबी आदि आठ भाषाओं के कागजात पक्षकार खुद 12 हफ्तों में अनुवाद करेंगे और सभी को देंगे. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने इस काम के लिए कम से कम चार महीने का समय मांगा था. 
 
सुप्रीम कोर्ट पहले सिविल सूट में शामिल याचिकाओं पर सुनवाई करेगा और उसके बाद सुब्रमण्यम स्वामी समेत अन्य लोगों की हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. 
 
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने साल 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश दिया था.
 
 
कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का हल आपसी बातचीत के जरिए निकालने की बात कही थी, साथ में यह भी कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी मध्यस्थता करने के लिए तैयार है. लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया.
 
विवादित ढांचा मामले पर शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि वो उस जमीन पर दावा छोड़ सकते हैं बशर्ते उन्हें मस्जिद बनाने के लिए दूसरी जगह जमीन दे.  शिया वक्फ बोर्ड ने अपने हलफनामे में ये भी कहा कि 2011 में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक जमीन के एक तिहाई हिस्से पर सुन्नी वक्फ बोर्ड का नहीं बल्कि उनका हक है क्योंकि ये मस्जिद मीर बांकी ने बनाई थी, जो एक शिया थे.
 
बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों के एक बड़े जत्थे ने सुरक्षा घेरा तोड़कर मस्जिद की दीवार पर चढ़कर मस्जिद को तोड़ दिया था. और इस तरह से एक उन्मादी भीड़ ने मस्जिद को पूरी तरह से ढहा दिया था. 

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