पटना. सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और बीजेपी दोनों भले ही बिहार की सत्ता में साथ आ गई है, मगर नीतीश कुमार ने बिहार के विकास मुद्दे पर ये संकेत दे दिये हैं कि वे हमेशा केंद्र के साथ हां में हां नहीं मिलाएंगे. यही वजह है कि न्यायिक क्षेत्र में केंद्र की तरफ से दी जाने वाली राशि पर नीतीश कुमार ने आपत्ति जताई.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद बड़ी खुशी जाहिर कर रहे थे कि हम लोग एक साथ आ गये हैं, लेकिन एक साथ आ गये तो कुछ दिखना भी चाहिए. बता दें कि नीतीश पटना में भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय और बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा आयोजित ‘टेली लॉ: मेन स्ट्रीमिंग लिगल एड थ्रू कॉमन र्सिवस सेंटर’ कार्यक्रम में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि रवि शंकर जी हमारे मित्र हैं. बड़ी खुशी है कि हम लोग एक साथ आ गये हैं. मगर ये साथ दिखना भी चाहिए. इतना बड़ा राज्य और न्यायिक क्षेत्र में आप सिर्फ 50 से 60 करोड़ रुपये ही दे रहे हैं.
आगे उन्होंने कहा कि इससे क्या होगा. देना है तो उदारपूर्वक दीजिए. उन्होंने कहा कि बिहार में कुल 38 जिले और 101 अनुमंडल और आप कह रहे हैं कि बिहार में अधिनस्थ अदालतों को सुदृढ बनाने के लिए 50, 60 या 70 करोड रूपये दिए जाएंगे. आगे उन्होंने कहा कि अगर आप देना ही चाहते हैं तो उदारतापूर्वक दीजिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि न्यायपालिका को सुदृढ़ करने के लिए जो भी आवश्यकता होती है, राज्य सरकार उसे बिना विलंब मुहैया कराती है. पटना हाईकोर्ट के लिए मदद की जरूरत नहीं है. सबार्डिनेट जूडिशियरी के लिए केंद्र की मदद चाहिए. इनकी संख्या ज्यादा है. पटना हाईकोर्ट के लिए भवन का विस्तार कर रहे हैं, जिसके लिए 169 करोड़ की परियोजना को स्वीकृत किया है.