नई दिल्ली: केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष पहलाज निहलानी एक बार फिर से विवादों में घिर चुके हैं. इतना ही नहीं उनके विरोध में आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी आयोजित किया गया है. पहलाज निहलानी के खिलाफ दोपहर 3 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया गया है.
यह कॉन्फ्रेंस इंडीयन फ़िल्म एंड टीवी डायरेक्टर एसोसीएशन की ओर से आयोजित किय़ा गया है. फ़िल्म बाबूमुशाय बंदूक़बाज फ़िल्म के समर्थन में आए सभी फ़िल्म डायरेक्टर, कहा की सेन्सर बोर्ड को कोई हक़ नहीं है की फ़िल्म को सेंसर करने का वह सिर्फ़ सर्टिफ़िकेट दे सकते हैं लेकिन ग़लत तरीक़े से फ़िल्म पर कैंची चलाना ग़लत है.
डायरेक्टर सुधीर पाण्डेय और सतीश कौशिक ने कहा की सेन्सर बोर्ड कौन होता है फ़िल्म रोकने वाले. कौन होता है वो तय करने वाला की युवा क्या देखें क्या ना देखे ? फ़िल्म की producer किरण श्राफ का सेन्सर बोर्ड की ऑफ़िस में अपमान किया गया साथ ग़लत शब्दों का प्रयोग किया गया.
किरण को यहां तक कहा गया कि आप तो महिला लगती ही नहीं है क्योंकि श्राफ ने पैंट शर्ट पहना हुआ था उस वक़्त फ़िल्म को “ए” सर्टिफ़िकेट देने की बात कही सेन्सर बोर्ड ने. उसके बाद भी 48 कट दिया गया फ़िल्म को जिसकी ज़रूरत नहीं थी.
पहलाज निहलानी पर अब तक कोई कारवाई सरकार नहीं कर रही है ये सबसे बड़ी बात है. कई मंत्री बदल गए लेकिन निहलानी नहीं बदले.
अशोक पंडित ने कहा कि सेंसर बोर्ड के जिन 2 अधिकारियों ने महिला का अपमान किया है उन्हें तत्काल सेंसर बोर्ड से हटाना चाहिये. दरअसल, नवाजुद्दीन सिद्धिकी की फिल्म बाबूमोशाय के अलावा कई और मुद्दे है जिसके लिए फ़िल्म निदेशक सेन्सर बोर्ड के खिलाफ एक साथ आ रहे हैं.
बता दें कि बाबूमोशाय बंदूकबाज के कई सीन को आपत्तिजनक बताते हुए CBFC ने इसमें कुल 48 कट लगाने की बात कही गई है. जब इस बात को लेकर पहलाज निहलानी से पूछा गया तो उन्होंने बस एक लाइन में यह जवाब दिया कि हम सिर्फ अपना काम कर रहे हैं.
वहीं इस पर फिल्म मेकर्स और नवाजुद्दीन का कहना है कि अगर फिल्म में 48 सीन्स कट कर दिए गए तो कुछ बचेगा ही नहीं. इसे लेकर फिल्म के निदेशक पहलाज निहलानी के विरोध में खड़े हो गए हैं.