महागठबंधन टूटने के बाद JDU में सेंधमारी में जुटे लालू, शरद यादव से फोन पर कहीं ये बातें

महागठबंधन टूटने पर, अब आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव जेडीयू में सेंधमारी की कोशिश में लगे हैं. लालू ने जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को अपने साथ आने का न्यौता दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीजेपी से हाथ मिलाने से नाराज शरद यादव नाराज हैं और उनकी नाराजगी को लालू एक मौका की तरह देख रहे हैं

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महागठबंधन टूटने के बाद JDU में सेंधमारी में जुटे लालू, शरद यादव से फोन पर कहीं ये बातें

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  • July 30, 2017 12:34 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
पटना: महागठबंधन टूटने पर, अब आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव जेडीयू में सेंधमारी की कोशिश में लगे हैं. लालू ने जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को अपने साथ आने का न्यौता दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीजेपी से हाथ मिलाने से नाराज शरद यादव नाराज हैं और उनकी नाराजगी को लालू एक मौका की तरह देख रहे हैं. इसलिए फोन कर उन्हें अपने साथ आने को कहा है.
 
लालू ने कहा कि मैंने शरद यादव से फोने पर बात की और मैं उनसे आरजेडी में आने की अपील की. मैंने उनसे कहा कि आइये और देश के हर कोने में जाकर इस लड़ाई की कमान अपने हाथों में लें. इसके बाद लालू ने सोशल मीडिया पर भी शरद यादव से साथ आने को कहा. उन्होंने ट्वीट करते इसे समय की मांग की.
 
 
लालू ने ट्वीट किया कि गरीबों, वंचितों और किसानों को संकट से निकालने के लिए हम नया आंदोलन खड़ा करेंगे. शरद भाई, आइए सभी मिलकर दक्षिणपंथी तानाशाही को नेस्तनाबूद करें. लालू ने एक और ट्वीट में लिखा- हमने और शरद यादव जी ने साथ लाठी खाई है, संघर्ष किया है. आज देश को फिर संघर्ष की जरूरत है. शोषित और उत्पीड़ित वर्गों के लिए हमें लड़ना होगा.
 
 
लालू के न्यौते के बाद, शरद यादव ने बीजेपी की अगुवाई वाली मोदी सरकार पर ट्वीट के जरिए जोरदार निशाना साधना भी शुरू कर दिया है. शरद यादव ने ट्वीट किया- न तो विदेश में जमा कालाधन वापस आया और न ही पनामा पेपर्स में जिन लोगों का नाम आया था, उन्हें ही पकड़ा गया है.
 
 
बता दें कि शुक्रवार को शरद यादव से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने मुलाकात की थी. हांलाकि अभी तक ये नहीं पता चल सका है कि इस बैठक में क्या बात हुआ है. बताया जा रहा है कि शरद यादव इसलिए भी नाराज बताए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन करते समय उन्हे विश्वास में नहीं लिया.

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