नई दिल्ली: कहते हैं ना जहां चाह होती है वहीं राह होती है. आज हम आपको कुछ छात्रों की ऐसी ही कोशिश दिखाने जा रहे हैं जिन्होंने मुश्किलों से लड़कर अपनी जिंदगी के लिए सफलता की नई राह खोज ली है.
आज की कहानी है ऐसे कुछ छात्रों की जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए किसी भी हद तक गुजरने के लिए तैयार है. ये ट्रेन का इंतजार करने वालों का हुजूम नहीं है. ये कॉम्पटीशन की तैयारी करने वाले छात्रों की भीड़ है जो सासाराम रेलवे स्टेशन पर किसी ट्रेन का नहीं बल्कि अपने किस्मत के खुलने के इंतजार में पढ़ाई कर रही हैं.
साल 2007 में कुछ छात्रों से शुरु हुआ ये कारवां अब 300 छात्रों तक पहुंच गया है. दरअसल 2007 में सासाराम में बिजली की बड़ी दिक्कत थी. उसी वजह से छात्रों ने रेलवे स्टेशन पर पढ़ने का फैसला किया और ये फैसला उनके लिए संजीवनी साबित हुआ. मजबूरी में उठाया गया ये कदम धीरे धीरे सासाराम में परंपरा की शक्ल में बदल गया है.
अब हर शाम यहां सैकड़ों छात्र आते हैं और अलग अलग कॉम्पटीशन में अपनी तैयारियों को अंजाम देते हैं. यहां आने वाले ज्यादातर वैसे छात्र होते है जो कोचिंग की महंगी फीस नही भर सकते हैं ये सब एक दूसरे से अपने नोट्स बदलते हैं, चर्चा करते हैं, सवालों को हल करते हैं.
सासाराम के इस रेलवे स्टेशन पर पढ़ने वाले कई लोग प्रतियोगिताओं में ना सिर्फ सफल रहे हैं बल्कि आज बड़े पदों पर भी हैं. अच्छी बात ये है कि यहां से पढ़कर सफल हुए छात्र आज भी यहां पर आते हैं और कई बार यहां पर पढ़ने वाले छात्रों को पढ़ाते भी हैं.