नई दिल्ली: देश के साथ गद्दारी करके दौलत कमा रहे 7 अलगाववादियों को एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया है. कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ ये बड़ी कार्रवाई है, क्योंकि अलगाववादियों के जरिए ही आतंकवादियों और पत्थरबाज़ों तक पैसे पहुंचाए जा रहे थे. कश्मीर में गद्दारों को किस-किस ने पैसे दिए ? अलगाववादियों की गिरफ्तारी के बाद टेरर फंडिंग करने वाले कब बेनकाब होंगे.
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों को कश्मीर से प्यार नहीं है, बल्कि कश्मीर उनके लिए व्यापार का ज़रिया है. कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन और अलगाववाद को हवा देकर कई लोग अपनी दुकान चला रहे हैं. इन्हीं में से 7 अलगाववादियों को एनआईए ने गिरफ्तार किया है.
खुद को हुर्रियत नेता कहने वाले जिन अलगाववादियों की गिरफ्तारी हुई है, उनमें हुर्रियत के गिलानी गुट के सरगना सैयद अली शाह गिलानी का दामाद अल्ताफ अहमद शाह भी शामिल है. इसके अलावा नईम खान, शहीद उल इस्लाम, अयाज़ अकबर, पीर सैफुल्ला और राजा मेहराजुद्दीन को भी एनआईए ने श्रीनगर से गिरफ्तार किया, जबकि बिट्टा कराटे को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया.
आज दिल्ली की स्पेशल कोर्ट में सातों अलगाववादियों को पेश करके एनआईए ने 18 दिन की रिमांड मांगी है. एनआईए का दावा है कि इन सबने हवाला के जरिए पाकिस्तान से पैसा लिया और उसे आतंकियों तक पहुंचाया है.
अलगाववादियों की गिरफ्तारी के बाद घाटी में पत्थरबाज़ों और आतंकियों की फंडिंग बंद होने की उम्मीद है. इसी से चिढ़कर आतंकियों और अलगाववादियों के समर्थकों ने कश्मीर में बंद का एलान किया है.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला का आरोप है कि आतंकी फंडिंग के जरिए घाटी में राष्ट्रवादी पार्टियों को खत्म करने की साज़िश रची जा रही थी. उन्होंने मांग की है कि अलगाववादियों को पैसे देने वालों को भी बेनकाब किया जाना चाहिए और ये भी खुलासा होना चाहिए कि टेरर फंडिंग का इस्तेमाल कहां-कहां और कैसे किया जा रहा था.