TB Test at Home: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने कई सरकारी संस्थानों के सहयोग से टीबी जांच का एक किट ईजाद किया है. यह किट ग्लूकोमीटर की तरह काम करता है. इसके जरिए आप घर बैठे महज 300 रुपये खर्च कर 30 मिनट में टीबी की जांच कर सकते हैं. इसकी जांच रिपोर्ट के 95 प्रतिशत से ज्यादा सही होने का दावा भी किया गया है.
नई दिल्ली. अगर आप को टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो आप जिस तरह घर में गुलकोमीटर से शुगर लेवल की जांचकरते हैं, ठीक उसी तरह टीबी की बीमारी का पता लगा सकते हैं. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एसोसिएशन (एम्स) ने टीएचएसटीआई (THSTI) संस्थान के सहयोग से करीब 6 साल की कड़ी मेहनत के बाद टीबी जांच की एक मशीन ईजाद की है. इस मशीन को तैयार कर मेडिकल क्षेत्र में इतिहास रच दिया है. हालांकि, ये अभी पायलट प्रोजेक्ट है, जिसमें दिल्ली के एम्स, राम मनोहर लोहिया अस्पताल और राष्ट्रीय क्षय एवं श्वसन रोग संस्थान (NITRD) को शामिल किया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत 324 मरीजों पर ये जांच की गई जो फेफड़ों की टीबी से जूझ रहे थे.
THSTI संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. तरुण शर्मा ने कहा कि इस टीबी टेस्ट किट के तीन पार्ट हैं, इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर, इलेक्ट्रोड और अपटामर. इलेक्ट्रोड में रीएजेंट मिथिलीन ब्लू का इस्तेमाल किया गया है. इससे तीन तरह की टीबी जैसे फेफड़े वाली टीबी, दिमाग वाली टीबी (मेनिनजाइटिस) और pleural वाली टीबी जिसमें बॉडी में पानी भर जाता है, की जांच की जा सकती है.
एम्स के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. जया त्यागी के मुताबिक, इलेक्ट्रोड सेंसर वाले इस मशीन से बलगम, सेलेब्रल फ्लूइड और pleural फ्लूइड की जांचकी जाती है. इनकी जांच रिपोर्ट 95 प्रतिशत से ज्यादा सही पाई गई है. किसी भी टीबी की जांच के लिए यह टेस्ट काफी सस्ता और जल्द परिणाम देने वाला है. आप 300 रुपये खर्च कर महज 30 मिनट में टीबी की जांच कर सकते हैं. हालांकि इनमें से कुछ जांच के लिए ट्रेनर की ज़ररूत पड़ती है तो कुछ में डॉक्टर की.
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 18 लाख लोग टीबी की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं. इनमें से हर साल करीब चार लाख लोगों की मौत इस बीमारी से हो जाती है. केंद्र सरकार ने साल 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए कई स्तरों पर कार्यक्रमों की शुरुआत भी की है. अब यह नई तकनीक टीबी मुक्त भारत बनाने के सपने को साकार करने में काफी मददगार साबित होगी. ऐसे में जरूरत है इसका पूरे देश में जल्द से जल्द ट्रायल हो और मार्केट में उपलब्ध हो सके. फिलहाल वैज्ञानिकों का दावा है कि इस बाजार में उपलब्ध होने के लिए करीब 2 साल तक ओर वक्त लगेगा.
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