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एन्ड ऑफ एनड्योरेंस: भगोड़े पति के जाने के बाद अकेले संघर्ष करती महिला की कहानी

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन एलुमनाई एसोसिएशन, राजस्थान चैप्टर (IIMCAA राजस्थान) द्वारा आज होटल हॉलिडे इन जयपुर सिटी सेंटर में पुस्तक चर्चा का आयोजन किया गया.

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  • July 24, 2017 3:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
जयपुर: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन एलुमनाई एसोसिएशन, राजस्थान चैप्टर (IIMCAA राजस्थान) द्वारा आज होटल हॉलिडे इन जयपुर सिटी सेंटर में पुस्तक चर्चा का आयोजन किया गया. परिचर्चा में (IIMCAA राजस्थान) चैप्टर की अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार अमृता मौर्य, साइकोलॉजिस्ट रजनी सिंघल तथा राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त सोशल एक्टिविस्ट  दीपा माथुर ने रचना आर्य के साथ बातचीत की. उनका उपन्यास ” एन्ड ऑफ़ एनड्य़ोरेंस ” दरअसल उनकी आत्मकथा है जिसमे उन्होंने अपने एक साल के वैवाहिक जीवन में अपने ऊपर हुए मानसिक, शारीरिक और यौन अत्याचार के बारे में लिखा है. 
 
गर्भवती हालत में शारीरिक अत्याचार और अलगाव के बाद 17 वर्ष का संघर्ष भरा सफर तय करके लेखिका न सिर्फ अपनी बेटी का पालन पोषण कर रही हैं, बल्कि जेल जाने के डर से विदेश पलायन कर गए पति को भारत लाने, सजा दिलाने और तलाक के लिए सतत प्रयासरत है. उनके पति सूरज शिंदे मेक्सिको में जा बसा हैं और वहां शादी भी कर चुका है जिससे उन्हें एक बेटा भी है. यह जानकारी उस कंपनी ने अपने वेबसाइट पर डाल रखी है, जहाँ सूरज शिंदे अभी कार्यरत हैं.  
 
 
 
सूरज शिंदे के खिलाफ मुंबई पुलिस घरेलू हिंसा के 6 केस दर्ज है और पुलिस की अपराध शाखा में वांटेड अपराधी है जो कि भारत की सरज़मी पर कदम रखते ही गिरफ्तार हो जायेगें. लेकिन लेखिका की हजार कोशिशों के बाद भी उसका अब तक भारत प्रत्यर्पण नहीं  हुआ है. लेखिका अपने इस उपन्यास के माध्यम से अपने जैसी उन सभी महिलाओ के लिए नए कानून की मांग कर रही हैं, जिनके अपराधी पति विदेश भाग चुके है. ये महिलाये न विघवा है, ना तलाक शुदा, ना अविवाहित, फिर इनका स्टेटस का है?  ये समाज  किस हैसियत से अपना दावा करें? 
 
पुनर्विवाह कर नए जीवन की शुरुआत करना चाहे तो कैसे करे? चर्चा के दौरान इस विषय पर बात हुई कि ऐसी महिलाओं के बच्चों की परवरिश कैसे हो, विशेष कर उस स्तिथि में जब परिवार से सहयोग नहीं है और स्वयं महिला भी बहुत शिक्षित नहीं है? विदेश भागे हुए पति को भारत कैसे लाया जाये और कानूनी कारवाही हो ताकि महिला और उसकी संतान अपनी ज़िंदगी मुक्त होकर जी सके.

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