WWC17Final: आखिरी सात भारतीय खिलाड़ियों ने फाइनल में मारी अपने पैर पर कुल्हाड़ी

जीत के करीब पहुंचते-पहुंचते भारतीय खिलाड़ियो ने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार दी और भारतीय क्रिकेट में सुनहरा पन्ना जुड़ते-जुड़ते रह गया.

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WWC17Final: आखिरी सात भारतीय खिलाड़ियों ने फाइनल में मारी अपने पैर पर कुल्हाड़ी

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  • July 23, 2017 6:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
लंदन: जीत के करीब पहुंचते-पहुंचते भारतीय खिलाड़ियो ने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार दी और भारतीय क्रिकेट में सुनहरा पन्ना जुड़ते-जुड़ते रह गया. जो काम पिछले 39 साल में नहीं हुआ था, वह रविवार को होने के करीब था लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने 28 रन में सात विकेट खोकर अपने नौसिखिया अंदाज़ का परिचय दिया और भारत फाइनल में 9 रन से हार गया. भारतीय टीम के पैनिक बटन ने उसका सारा खेल खत्म कर दिया जिससे इंग्लैंड ने भारत से न सिर्फ लीग मैचों में हुई अपनी हार का बदला लिया बल्कि चौथी बार वर्ल्ड कप की चमचमाती ट्रॉफी भी अपने नाम कर ली. 
 
इन सात खिलाड़ियों ने झूलन गोस्वामी, पूनम राउत, हरमनप्रीत और वेदा कृष्णामूर्ति की मेहनत पर पानी फेर दिया. इंग्लैंड का 228 का अदना सा स्कोर भी भारतीय खिलाड़ियों ने पहाड़नुमा बना दिया. भारतीय खिलाड़ियों के लिए राहत की बात इतनी है कि वे पिछले वर्ल्ड कप के सातवें से इस बार दूसरे स्थान पर रहे. यह ऐसा लम्हा था जब उनके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे.
 
 
इस हार ने भारतीय टीम को एक बड़ा सबक दिया. ऐसा सबक कि जब तक काम को अंजाम तक न पहुंचाया जाये, तब तक चैन से नहीं बैठना चाहिए और न ही किसी तरह की हड़बड़ाहट दिखानी चाहिए. जिस पूनम राउत और हरमनप्रीत ने 128 रन में 95 रन की पार्टनरशिप करके उम्मीदें जगाई थीं, वहीं मिताली का रन आउट होना और स्मृति का पहले दो मैचों के बाद से चला आ रहा फ्लॉप शो इस बार भी भारत की परेशानी का सबब बना लेकिन इसके बावजूद भारतीय खिलाड़ियों ने हिम्मत नहीं हारी थी मगर समरसेट में जन्मी और अपनी इनस्विंगर के लिए मशहूर श्रबसोल ने 46 रन में छह विकेट लेकर अपनी टीम को जीत का अमूल्य तोहफा दिया.
 
 
दूसरी बार लड़खड़ाये  
यह दूसरा अवसर है जब भारतीय टीम फाइनल में पहुंचने के बाद भी जीत दर्ज नहीं कर पाई। 2005 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में 215 रनों पर रोक दिया था लेकिन इसके जवाब में तब भारतीय टीम केवल 117 रन पर लुढ़क गई थी. 
 
सबक काम आएगा
मैच के बाद भारतीय कप्तान मिताली राज ने कहा कि हमें अहम समय में पैनिक पैदा करना महंगा साबित हुआ. उनकी अनुभवहीनता सामने आई लेकिन यह अनुभव उनके आगे काम आएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपनी खिलाड़ियों पर गर्व है कि वे टूर्नामेंट में अच्छा खेलकर फाइनल में पहुंची हैं.  
 
इससे पहले झूलन की पहले स्पेल में किफायती गेंदबाज़ी और दूसरे स्पेल में विकेट चटकाने की क्षमता ने भारत के लिए उम्मीदें पैदा कर दी थीं. उन्होंने न सिर्फ सारा टेलर और स्काइवर की खतरनाक बनती पार्टनरशिप को तोड़कर भारत को बड़ी राहत दिलाई बल्कि इन दोनों के अलावा उन्होंने विल्सन को पहली ही गेंद पर आउट करके इंग्लैंड पर दबाव बना दिया. टेलर और स्काइवर ने चौथे विकेट के लिए 83 रन की पार्टनरशिप 99 गेंदों पर पूरी की। उनके अलावा पूनम यादव ने दो विकेट चटकाने के साथ रन गति पर भी अंकुश लगा दिया.
 
जल्दी-जल्दी गिरे विकेट 
शुरुआती ओवरों में शिखा पांडे जब काफी महंगी साबित हो रही थीं, उस समय पहले विकेट के लिए विनफील्ड और बेमोंट के बीच 47 रन की पार्टनरशिप हुई लेकिन उसके बाद इंग्लैंड ने 30 गेंदों पर 16 रन के अंदर तीन विकेट गंवा दिये. यही हाल टेलर और स्काइवर की अच्छी पार्टनरशिप के बाद देखने को मिला जब भारत ने 27 गेंदों के अंतराल में 18 रन में तीन विकेट गंवा दिये. बाद के ओवरों में ब्रंट और गन ने स्कोरगति को आगे बढ़ाया और टीम को चुनौतीपूर्ण स्कोर पर खड़ा कर दिया.

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