मोदी सरकार की ‘अगस्त क्रांती’ से इस तरह से एक सेकेंड में झुक जाएंगे चीन और पाकिस्तान !

अगले एक महीने में यानी अगस्त में चीन और पाकिस्तान का दिल दहलने वाला है. डोकलाम विवाद पर भारत को डराने की कोशिश करने वाला चीन चक्कर में पड़ जाएगा और कश्मीर में कोहराम मचाने वाला पाकिस्तान का हौसला भी पस्त हो जाएगा.

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मोदी सरकार की ‘अगस्त क्रांती’ से इस तरह से एक सेकेंड में झुक जाएंगे चीन और पाकिस्तान !

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  • July 23, 2017 4:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: अगले एक महीने में यानी अगस्त में चीन और पाकिस्तान का दिल दहलने वाला है. डोकलाम विवाद पर भारत को डराने की कोशिश करने वाला चीन चक्कर में पड़ जाएगा और कश्मीर में कोहराम मचाने वाला पाकिस्तान का हौसला भी पस्त हो जाएगा. इसकी वजह है मोदी की अगस्त क्रांति. एक ऐसी क्रांति जो सेना की ताकत और हिम्मत को आसमान पर पहुंचा देगी.
 
पिछले साल हुए उरी आतंकी हमले के बाद से ही सेना के लिए ज्यादा से ज्यादा हथियार और गोला-बारूद जुटाने पर जोर दिया जा रहा था. ताकि जंग की सूरत में देश के पास पर्याप्त वॉर रिजर्व हो. इसके लिए सेना और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत के बाद बड़ा कदम उठाया गया और इस साल फरवरी में सरकार ने 20 हजार करोड़ की डिफेंस डील पर मुहर लगा दी.
 
 
अब अगले महीने से सेना को इसकी सप्लाई मिलनी शुरू हो जाएगी. एक महीने के अंदर हमारी सेना को हथियारों और गोला-बारूद की सबसे बड़ी खुराक मिलने वाली है. अगस्त महीने तक हमारे पास इतना वॉर रिजर्व हो चुका होगा कि अगर चीन या पाकिस्तान ने जंग के लिए मजबूर किया तो लड़ाकू विमान, मिसाइलें, टैंक, तोप, गन दुश्मन के खिलाफ एक साथ गरज उठेंगे.
 
दरअसल शुक्रवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी ने लोकसभा में रिपोर्ट पेश करते हुए भारतीय सेना के पास गोला बारूद की कमी को लेकर गहरी चिंता जताई थी. रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है कि भारतीय सेना के पास सिर्फ 10 दिन का ऑपरेशनल वॉर रिजर्व है. जबकि युद्ध के लिए कम से कम 40 दिन का वॉर रिजर्व जरूरी है.
 
इतना ही नहीं सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में सेना के पास मौजूद खराब किस्म के गोला बारूद पर भी चिंता जताते हुए कहा था कि इन्हें ठिकाने ना लगाने के चलते एम्युनिशन डिपो में आग लगने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. जब सीएजी ने लोकसभा में रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि भारतीय सेना के पास बमुश्किल दस दिन का ही वॉर रिजर्व है तो हड़कंप मच गया. ये रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई जब सिक्किम बॉर्डर पर चीन की चुनौती लगातार बढ़ती जा रही है.
 
 
वहीं एलओसी पर भी सीमा पार से नापाक हमले जारी हैं. ऐसे में अगर सेना के पास पर्याप्त साजो सामान नहीं हुए तो एक साथ दो-दो फ्रंट पर दुश्मन का सामना करना मुश्किल हो जाएगा. लेकिन सीएजी की इस रिपोर्ट को सेना ने सिरे से खारिज कर दिया है.
 
सेना के सूत्रों का कहना है कि सीएजी की रिपोर्ट में सैन्य जरूरतों की आधी अधूरी तस्वीर ही पेश की गई है. स्थिति उतनी खराब नहीं जितनी की रिपोर्ट में बताई गई है. जहां तक सैन्य सामग्री की कमी की बात है तो सीएजी की रिपोर्ट में कई पहलुओं को छुआ तक नहीं गया है. 
 
सूत्रों की मानें तो सितंबर 2016 में हुई पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से अब तक सेना ने करीब 12 हजार करोड़ के हथियार और गोला बारूद की खरीद की है जिसकी सप्लाई अगले महीने से शुरू भी हो जाएगी. जाहिर है.. सेना के पास जंग लड़ने के लिए हथियारों और गोला-बारूद की कोई कमी नहीं और जो कमी है वो भी महीने दो महीने में पूरी हो जाएगी.
 
 
कहने का मतलब ये कि अगले दो एक महीनों में भारत के पास पहले से कहीं ज्यादा ऑपरेशनल वॉर रिजर्व होगा. जिसे वक्त पड़ने पर कभी भी फौरन इस्तेमाल में लाया जा सकता है. भारतीय सेना एक अरसे से इसी कमी से जूझती रही है लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा फैसला लिया जिसने एक झटके में सेना का साहस दोगुना कर दिया.
 
हिंदुस्तान की सेना की ताकत और हिम्मत का लोहा पूरी दुनिया मानती है. जंग के मैदान में भारत के जांबाज जवान कई बार अपना जौहर दिखा चुके हैं लेकिन अब ये ताकत दुश्मनों को और ज्यादा डराने वाली है. क्योंकि सेना को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार ने जो रक्षा समझौते किए थे उसका असर दिखना शुरू हो गया है.
 
मोदी सरकार ने पिछले साल नवंबर में ही सेना के लिए सबसे बड़ी रक्षा खरीद को मंजूरी दे दी थी. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने 82,000 करोड़ का फंड जारी किया था. जिससे सेना के लिए जरूरी साजो सामान खरीदे जा रहे हैं. इस फंड से सेना के लिए फाइटर एयरक्राफ्ट्स, लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स, टैंक, रॉकेट और मिनी ड्रोन खरीदे जा रहे हैं.
 
पिछले साल भी सीएजी ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें कहा गया था कि सेना के पास जंग लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में रिजर्व गोला-बारूद नहीं है. सरकार ने इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए आर्मी, एयरफोर्स और नेवी की स्पेशल कमिटी बनाई ताकि सैनिक साजो सामान से जुड़ी पुरानी मांगों को जल्द से जल्द निपटाया जा सके.
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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