नई दिल्ली: सावन के महीने में पड़ने वाली अमावस्या का अपना अलग ही महत्व है. इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार सावन में प्रकृति पर आई बहार की खुशी में मनाया जाता है. इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा व फेरे किए जाते हैं.
सबसे खास बात कि इस दिन मालपूए का भोग बनाकर चढ़ाए जाने की भी परंपरा है. हिन्दू धर्म में पीपल के वृक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि पीपल के वृक्ष में अनेकों देवताओं का वास होता है ऐसा माना गया है. इस दिन पीपल के मूल भाग में जल, दूध चढ़ाने से पितृ तृप्त होते हैं और शनि शांति के लिए भी शाम के समय सरसों के तेल का दिया भी जलाया जाता है.
ऐसा मानना है कि सावन के महीने में अमावस्या की रात यदि भोलेनाथ की चारों प्रहरों में पूजा की जाए तो न केवल लक्ष्मी हमेशा आपके निवास पर रहेगी बल्कि कुबेर का भी डेरा यही हो जाएगा. सावन मास चतुर्मास के अंदर आता है. इस दिन तीर्थक्षेत्र व पवित्र नदी तटों पर स्नान एवं दान करना पुण्यदायी माना जाता है. हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव की आराधना अपनी राशिनुसार की जाए तो विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है.