राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की एकता क्या तहस-नहस हो गई ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद और एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद भारत के 14वें राष्ट्रपति होंगे. रामनाथ कोविंद को गैर बीजेपी राज्यों में भी जितने वोट मिले हैं, वो विपक्ष के लिए किसी सदमे से कम नहीं हैं. चुनाव से पहले आंकड़ों में दिख रहा था कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष मजबूती चुनौती पेश कर सकता है

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राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की एकता क्या तहस-नहस हो गई ?

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  • July 20, 2017 1:37 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद और एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद भारत के 14वें राष्ट्रपति होंगे. रामनाथ कोविंद को गैर बीजेपी राज्यों में भी जितने वोट मिले हैं, वो विपक्ष के लिए किसी सदमे से कम नहीं हैं. चुनाव से पहले आंकड़ों में दिख रहा था कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष मजबूती चुनौती पेश कर सकता है, लेकिन रामनाथ कोविंद के पक्ष में नतीजे एकतरफा दिख रहे हैं.
 
रायसीना हिल्स पर अब राम राज होगा. राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने विपक्ष की मीरा कुमार को बहुत आसानी से हरा दिया. ना तो विपक्ष की एकजुटता की कवायद रामनाथ कोविंद की राह मुश्किल बना पाई और ना ही मीरा कुमार की अंतरात्मा की आवाज़ सुनने की अपील काम आई.
 
राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को कुल वैध वोटों में से 65.65 फीसदी वोट मिले, जबकि मीरा कुमार को महज 34.35 फीसदी वोट ही मिल पाए. रामनाथ कोविंद को मिले वोटों का कुल मूल्य 7 लाख 2 हजार 644 रहा. मीरा कुमार को 3 लाख 67 हजार 314 वोट मिले.
 
रामनाथ कोविंद की जीत इतनी आसान होगी, इसकी उम्मीद विपक्ष को नहीं थी. यूपी विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बावजूद एनडीए को राष्ट्रपति चुनाव में करीब 20 हजार वोटों की कमी दिख रही थी. ऊपर से शिवसेना जैसी सहयोगी पार्टी ने अपने तेवरों से एनडीए को हैरान कर रखा था.
 
ऐसे में विपक्ष ने राष्ट्रपति चुनाव में साझा उम्मीदवार उतारने की कवायद शुरू की, तो लगा कि मुकाबला कांटे का हो सकता है. विपक्ष की इस रणनीति की काट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसानी से ढूंढ ली. उन्होंने बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद को एनडीए का उम्मीदवार बनाया. एनडीए का ये दलित कार्ड था.
 
कोविंद का बिहार कनेक्शन भी रंग लाया और नीतीश कुमार ने बिना देरी किए विपक्ष से किनारा कर लिया और कोविंद को समर्थन देने का एलान कर दिया. मजबूरी में विपक्ष को मीरा कुमार को आगे करना पड़ा, लेकिन मोदी और उनकी टीम ने आंध्रप्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना में टीआरएस और तमिलनाडु में एआईएडीएमके का समर्थन जुटा लिया. 
 
वोटिंग शुरू होने से पहले ही रामनाथ कोविंद की जीत पक्की हो चुकी थी. विपक्ष के लिए राष्ट्रपति चुनाव सिर्फ एकजुटता दिखाने का बहाना भर था, लेकिन वहां भी विपक्ष को हार ही मिली. राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की एकता क्या तहस-नहस हो गई ? अब नेता, नीति और नीयत के बिना मोदी का मुकाबला कैसे करेगा विपक्ष, आज इसी मुद्दे पर होगी महाबहस.
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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