नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर सीमा पर पाकिस्तानी फौज ने युद्ध के नियम और मानवता को ताक पर रख दिया है.कायरता की हदें पार करके पाकिस्तानी फौज सीमा पर बसे गांवों के साथ-साथ स्कूलों पर निशाना साध रही है. मंगलवार को नौशेरा सेक्टर में मासूम स्कूली बच्चे घंटों पाकिस्तानी फायरिंग के बीच फंसे रहे.
आखिर बच्चों को निशाना क्यों बना रही है कायरों की नापाक फौज ? क्या सीमा पर शांति के लिए पाकिस्तान को खंडहर बनाना ज़रूरी हो गया है, आज इन्हीं सवालों पर होगी महाबहस.जम्मू-कश्मीर में सीमा पर बसे गांवों-कस्बों के स्कूल दो महीने तक पाकिस्तानी गोलाबारी के चलते बंद थे.
इसी हफ्ते स्कूल दोबारा खुले और मंगलवार को पाकिस्तानी फौज ने बेहद शर्मनाक और कायराना हरकत करते हुए स्कूलों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. ये तस्वीर नौशेरा सेक्टर के एक स्कूल की है, जिस पर पाकिस्तानी फौज ने बेवजह फायरिंग शुरू कर दी.
करीब पांच घंटे तक दर्जनों मासूम बच्चे नापाक फायरिंग के बीच फंसे रहे.नौशेरा सेक्टर में दो स्कूल पाकिस्तानी फौज की गोलाबारी की सीधी चपेट में आए थे. जबकि कई और स्कूलों में बच्चों को एहतियातन स्कूल के अंदर ही बंद करना पड़ा. गोलाबारी के बीच सेना ने बुलेट प्रूफ गाड़ियों में बैठाकर बच्चों को उनके घर या फिर राहत शिविरों तक पहुंचाया.
पाकिस्तानी गोलाबारी में भारतीय सैनिकों की शहादत और ज़ख्मी होने का सिलसिला करीब तीन साल से जारी है. लेकिन पहली बार पाकिस्तानी फौज ने स्कूली बच्चों पर निशाना साधा है. ये पाकिस्तानी फौज के वहशीपन की मिसाल है. दूसरी ओर भारत की सरकार ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए एक पाकिस्तानी परिवार की बगिया उजड़ने से बचा लिया.
पाकिस्तान के कंवल सादिक के मासूम बेटे रोहन के दिल में छेद था, जिसके इलाज के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बिना देरी किए मेडिकल वीजा जारी करवाया. मंगलवार को ही पाकिस्तान के इस बच्चे को अस्पताल से छुट्टी मिली और मंगलवार को ही पाकिस्तानी फौज ने भारत के स्कूली बच्चों पर मोर्टार दाग कर अपना असली चेहरा दिखा दिया.