आखिर इस रहस्यमयी बीच पर अचानक आया तूफान पलभर में छूमंतर क्यों हो जाता है

इंडिया न्यूज शो 'ज़िंदगी जरूरी है' में आज रोमांच के शौकीन लोगों की ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे. जिन्हें हर पल खतरे से टकराने का जुनून है. इन लोगों के लिए मौत को चैलेंज करना कैसे ज़िंदगी पर भारी पड़ सकता है.

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आखिर इस रहस्यमयी बीच पर अचानक आया तूफान पलभर में छूमंतर क्यों हो जाता है

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  • July 15, 2017 4:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: इंडिया न्यूज शो ‘ज़िंदगी जरूरी है’ में आज रोमांच के शौकीन लोगों की ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे. जिन्हें हर पल खतरे से टकराने का जुनून है. इन लोगों के लिए मौत को चैलेंज करना कैसे ज़िंदगी पर भारी पड़ सकता है.
 
ये वीडियो दुनियाभर के रोमांचजादों के लिए बहुत बड़ा सबक है. जिसे हम और आप रोमांच कहते हैं. वो जुनून कुछ तरह जानलेवा बन जाता है. ये सैंट मार्टिन का प्रिंसेस जूलियाना एयरपोर्ट है और इस एयरपोर्ट के बिल्कुल नजदीक है माहो बीच पर जो भी सैलानी आता है. वो प्लेन को बिलकुल नजदीक से उड़ते हुए देखता हैं. सिर से महज 50 मीटर ऊपर, कुछ इस तरह इस दौरान जेट ब्लास्ट भी होता है.
 
ये तस्वीर हम इसलिए नहीं दिखा रहे कि इसमें रोमांच है. रोमांच लेने का जुनून है बल्कि इसलिए दिखा रहे हैं कि 15 जुलाई को 57 साल की महिला की ऐसे ही रोमांच लेते वक्त मौत हो गई. ज़िंदगी ज़रूरी है कि सबसे बड़ी तस्वीर है. ये दरअसल 57 साल की महिला, जो न्यूज़ीलैंड से माहो बीच जेट ब्लास्ट देखने पहुंची थी वो भी कुछ इसी तरह लोहे की ग्रिल पकड़कर जेट ब्लास्ट का लुत्फ उठाना चाहती थी.
 
जैसे ही जेट ब्लास्ट हुआ बीच पर हवा तेज हो गई. चारों तरफ धुआं उड़ने लगा और जेट ब्लास्ट इतना जोरदार कि हवा का तेज झोंके से महिला के कदम लड़खड़ाने लगे. उसने दोनों हाथों से ग्रिल पर पकड़ बनानी चाही, लेकिन हिम्मत जवाब दे गई और फिर पास ही बने कंक्रीट के ब्लॉक से टकरा गई. ये वीडियो थोड़ा पुराना है लेकिन न्यूजीलैंड के महिला के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. महिला का हाथ ग्रिल से छूटा है वो हवा के झोंके के साथ उड़ी और उसका सिर धड़ाम से.
 
ये हादसा बता रहा है कि लोग जहां रोमांच खोजते हैं, वहां मौत की आहट भी छिपी होती है. ये फोटोग्राफर खुशकिस्मत था, जो उड़ते हुए प्लेन के बाद आए जोरदार झोंके से लड़खड़ाकर वहीं गिर गया. वरना कंक्रीट का ब्लॉक भी इससे ज्यादा दूर नहीं था. जान जोखिम में डालने वाले ऐसे सैलानियों की संख्या कम नहीं, बल्कि बहुत ज्यादा है.
 

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