Amalaki Ekadashi 2019: जानिए आमलकी एकादशी की व्रत कथा और इससे जुड़ी अहम बातें

Amalaki Ekadashi 2019: हिंदु मान्यता के मुताबिक आमलकी एकादशी को मोक्ष प्राप्ति के लिए काफी अहम समझा जाता है. देवी भागवत पुराण के मुताबिक इस एकादशी को अक्षय नवमी के समान समझा जाता है. इस बार एकादशी 17 मार्च, रविवार को मनाई जाएगी.

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Amalaki Ekadashi 2019: जानिए आमलकी एकादशी की व्रत कथा और इससे जुड़ी अहम बातें

Aanchal Pandey

  • March 16, 2019 5:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. Amalaki Ekadashi 2019: हिंदु धर्म में हर व्रत का बेहद अधिक महत्व होता है. घऱ के लोग व्रत की तैयारियां काफी लंबे समय पहले से शुरू कर देते हैं. यह भगवान विष्‍णु के व्रतों में से एक है. जिसे एकादशी का व्रत कहा जाता है. इस बार जो एकादशी पड़ रही है. उसे आमलकी एकादशी और साथ ही इसे शुक्‍ल एकादशी कहकर भी पुकारात जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत को बेहद अहम माना जाता है. इस बार 17 मार्च को आमलकी एकादशी है. इस दिन आंवले के पेड़ के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ खास बातें.

आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इसी दिन रंगभरनी एकादशी भी मनाई जाती है. इस दौरान भगवान शिव को रंग लगाकर होली की तैयारियां प्रारंभ हो जाती है. यह दिन शिव और विष्णु भक्तों के लिए काफी अहम है. इस बार आमलकी एकादशी 2019 का व्रत 17 मार्च यानि रविवार को पड़ रहा है.

शिवपुराण के मुताबिक इस दिन देवी पार्वती का गौना हुआ था. इस दिन वह शिव के पास आ गई थीं. देवी पार्वती के आने पर शिवभक्तों ने रंग खेलकर अपनी खुशी का इजहार किया था. यही वजह है कि इसे रंगभरनी एकादशी भी कहकर पुकारा जाता है. इस दिन काशी में भगवान शिव का विशेष श्रृंगार होता है.

व्रत कथा: आमलकी एकादशी का जिक्र कई पुराणों में किया गया है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक इसी दिन सृष्टि के आरंभ काल में आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी. आंवले की उत्पत्ति को लेकर एक कथा प्रचलित है जिसके मुताबिक ब्रह्मा जी जब विष्णु जी के नाभि कमल से उत्पन्न हुए थे, तब उन्हें जिज्ञासा हुई कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई है. इस सवाल का जवाब देने के लिए ब्रह्मा जी तपस्या में लीन हो गए. ब्रह्मा की तपस्या से खुश होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए थे.

भगवान विष्णु को सामने देखकर ब्रह्मा जी खुशी से भावुक हो गए और उनकी आंखें नम हो गई. ब्रह्मा जी के आंसू की बूंदे भगवान विष्णु की चरणों में गिरने लगे. ऐसा कहा जात है कि फिर ब्रह्मा जी की आंसुओं से आमलकी यानि आंवले की उत्पत्ति हुई. तभी आंवले के पेड़ को जन्म हुआ. इस दिन आंवले के पौधे को लगाना अच्छा माना जाता है.

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