नई दिल्ली. 'जनता के राष्ट्रपति' के नाम से मशहूर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम हमेशा अपनी सादगी के लिए याद किए जाएंगे. अपने आखिरी पलों में भी वह लोगों की चिंता करना नहीं भूले. सोमवार को वह अपने सहयोगी और पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार सृजन पाल सिंह के साथ थे और सृजन आखिरी वक्त तक उनके साथ रहे. सृजन ने बताया कि कलाम ने अपनी सुरक्षा में तैनात एक जवान के लगातार खड़े रहने आपत्ति जताई थी.
नई दिल्ली. ‘जनता के राष्ट्रपति’ के नाम से मशहूर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम हमेशा अपनी सादगी के लिए याद किए जाएंगे. अपने आखिरी पलों में भी वह लोगों की चिंता करना नहीं भूले. सोमवार को वह अपने सहयोगी और पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार सृजन पाल सिंह के साथ थे और सृजन आखिरी वक्त तक उनके साथ रहे. सृजन ने बताया कि कलाम ने अपनी सुरक्षा में तैनात एक जवान के लगातार खड़े रहने आपत्ति जताई थी.
गुवाहाटी से शिलॉन्ग जाते समय रास्ते में कलाम के काफिले में 6-7 गाड़ियां थी. कलाम और उनके सहयोगी सृजन की गाड़ी के ठीक आगे वाले खुली जिप्सी पर तीन जवान थे. सृजन ने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा, ‘जिप्सी पर दो जवान बैठे हुए थे और उनका तीसरा साथी जवान खड़ा था. कलाम ने मुझसे पूछा कि जवान खड़ा क्यों है, ऐसे तो वह थक जाएगा. यह सजा की तरह है. उसे बैठने के लिए कह दो.’
कलाम के कहने पर सृजन ने रेडियो से जवान को संदेश देने की कोशिश की लेकिन रेडियो काम नहीं कर रहा था. सृजन ने बताया, ‘अगले डेढ़ घंटे के सफर में कलाम ने मुझे को तीन बार याद दिलाया कि जवान से बैठने के लिए कहो. इसके बाद डॉक्टर कलाम ने मुझे कहा कि वे जवान से मिलकर शुक्रिया अदा करना चाहता हूं.’
सृजन ने आगे बताया, ‘आईआईएम शिलॉन्ग पहुंचने के बाद डॉक्टर कलाम ने जवान से हाथ मिलाया और उससे पूछा कि क्या तुम थक गए हो, कुछ खाना चाहोगे ? कलाम ने कहा कि मेरे कारण तुम्हें खड़ा रहना पड़ा मैं इसके लिए माफी चाहता हूं. कलाम के यह कहने के बाद युवा जवान आश्चर्य से भर गया. जवान ने कहा कि सर आपके लिए मैं तीन घंटे क्या छह घंटे भी खड़ा रह सकता हूं.’
सृजनपाल सिंह ने डॉ कलाम के साथ मिलकर ‘री-इग्नाइटेड : साइंटिफिक पाथवेज़ टू ए ब्राइटर फ्यूचर’ किताब लिखी है. इस किताब में युवाओं को रोबोटिक्स, एयरोनॉटिक्स, न्यूरोसाइंसेज, पैथोलॉजी, पेलेन्टोलॉजी और मैटीरियल साइंसेज जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए सलाह भी दी गई है.
What I will be remembered for.. my memory of the last day with the great Kalam sir… It has been eight hours since we…
Posted by Srijan Pal Singh on Monday, July 27, 2015