FIR न्यूज: लालू के साथ-साथ राबड़ी और तेजस्वी के पीछे क्यों पड़ी CBI?

पटना:सीबीआई ने शुक्रवार को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज करने के बाद पटना, रांची, भुवनेश्वर और गुड़गांव समेत 12 ठिकानों पर छापेमारी की जिससे बिहार की राजनीतिक में भूचाल आ गया. लालू यादव इसे अपने खिलाफ बीजेपी की साजिश बता रहे हैं लेकिन सीबीआई द्वारा दाखिल […]

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FIR न्यूज: लालू के साथ-साथ राबड़ी और तेजस्वी के पीछे क्यों पड़ी CBI?

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  • July 7, 2017 8:06 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
पटना:सीबीआई ने शुक्रवार को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज करने के बाद पटना, रांची, भुवनेश्वर और गुड़गांव समेत 12 ठिकानों पर छापेमारी की जिससे बिहार की राजनीतिक में भूचाल आ गया. लालू यादव इसे अपने खिलाफ बीजेपी की साजिश बता रहे हैं लेकिन सीबीआई द्वारा दाखिल की गई एफआईआर कुछ और ही मंजर बयां कर रही है. 
 
इंडिया न्यूज/ इनखबर के पास CBI की एफआईआर कॉपी मौजूद है. आइए आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाते हैं कि ये पूरा घटनाक्रम कैसे घटा और सीबीआई किस आधार पर लालू यादव और उनके परिवार को आरोपी मान रही है. 
 
                                                                                        
 
सीबीआई की FIR में क्या है आरोप?
सीबीआई के अतिरिक्त निर्देशक राकेश अस्थाना के मुताबिक आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं के तरह केस दर्ज किया गया है. अस्थाना के मुताबिक 2004 से 2014 के बीच IRCTC ने भारतीय रेलवे से पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल्स की जिम्मेदारी अपने पास ली और फिर बाद में उसके परिचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी पटना स्थित सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दे दी.
 
 
 
आरोप है कि इस इस दौरान सुजाता होटल्स को फायदा पहुंचाने के लिेए टेंडर की शर्तों में छेड़छाड़ की गई. बदले में पटना में तीन एकड़ जमीन को औने-पौने दाम पर डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को बेच दिया गया जोकि लालू यादव के परिवार से जुड़ी कंपनी है. इसके बाद जमीन फिर लालू यादव के परिवार के एक सदस्य की कंपनी लारा प्रोजेक्ट्स को बहुत कम कीमत पर ट्रांसफर कर दी गई. 
 
 
 
राकेश अस्थाना के मुताबिक लारा प्रोजेक्ट को जिस वक्त ये जमीन मात्र 65 लाख रूपये में दी गई, उस वक्त सर्किल रेट के हिसाब से जमीन की कीमत 32 करोड़ रूपये थी. उन्होंने बताया कि शुरूआती जांच के बाद 5 जुलाई को दर्ज की गई एफआईआर में लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद प्रेमचंद्र गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता को आरोपी बनाया गया है.
 
 
 
इनके अलावा एफआईआर में सुजाता और चाणक्य होटल के निदेशक विजय और विनय कोचर के अलावा डिलाइट मार्केटिंग कंपनी (अब लारा प्रोजेक्टस्) और उस वक्त IRCTC के मैनेजिंग डायरेक्टर पी के गोयल का नाम शामिल है. गौरतलब है कि साल 2001 में रेलवे के होटलों और उसकी केटरिंग की जिम्मेदारी आईआरसीटीसी को सौंपने का फैसला लिया गया था. आईआरसीटीसी और रेलवे के बीच हुए एमओयू में रांची और पुरी स्थित बीएनआर होटल्स भी शामिल था.
 
 
 
 
सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि उस वक्त तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने सुजाता होटल्स, सरला गुप्ता और आईआरसीटीसी के अधिकारियों के साथ मिलकर अपने परिवार और दूसरों को फायदा पहुंचाया. आरोप है कि 25 फरवरी 2005 को विनय कोचर ने पटना में 3 एकड़ की कमर्शियल प्रॉपर्टी को सरला गुप्ता की कंपनी डिलाइट मार्केटिंग को 1.47 करोड़ में बेचा. एफआईआर में ये भी कहा गया है कि डिलाइट मार्केटिंग को सर्किल रेट से बहुत कम कीमत पर वो जमीन बेची गई साथ ही पर्याप्त स्टैंप ड्यूटी से बचने के लिए कागजों में जमीन को एग्रीकल्चर लैंड दिखाया गया.
 
 
 
सीबीआई की शुरूआती जांच के मुताबिक कोचर बंधुओं ने डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को जमीन बेची और इसी दौरान बिक्रमजीत सिंह आहलुवालिया की कंपनी आहलुवालिया कॉन्ट्रेक्टर्स ने डिलाइट मार्केटिंग कंपनी में उतना ही पैसा निवेश किया. एफआईआर में ये बात भी शामिल की गई है कि कोचर बंधुओं ने जब डिलाइट मार्केटिंग के नाम से प्रॉपर्टी ट्रांसफर की, उसी दौरान रेलवे बोर्ड ने आईआरसीटीसी को बताया कि वो बीएनआर होटल्स उन्हें ट्रांस्फर कर रहे हैं.
 
 
आरोप के मुताबिक आईआरसीटीसी के तत्कालीन एमडी पी के गोयल ने टेंडर की शर्तों में हेरफेर करके बीएनआर होटल्स को सुजाता होटल्स के हवाले कर दिया. एफआईआर के मुताबिक  रेल मंत्री लालू यादव इस पूरे प्रकरण से वाकिफ थे और टेंडर प्रोसेस पर नजर रखे हुए थे. रिकार्ड के मुताबिक दोनों होटलों के टेंडर के लिए 15 आवेदन आए लेकिन बोली सिर्फ सुजाता होटल्स ने लगाई.
 
 
 
सुजाता होटल को टेंडर मिलने के बाद साल 2010 से 2014 के बीच डिलाइट मार्केटिंग कंपनी राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को सौंप दी गई और अब उसी जमीन पर मॉल बन रहा है जिसको पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलने को लेकर भी मामला चल रहा है.
 
 

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