नई दिल्ली: जिंदगी जरूरी में आज बात भारत-चीन के बीच चल रही तना-तनी की होगी. आप सोच रहे होंगे कि ज़िंदगी ज़रूरी है में ये विश्लेषण क्यों ? माना कि ज़िंदगी जरूरी है लेकिन देश की आन-बान और शान की भी उसी तरह अहमियत है. देश का सम्मान है, तो ज़िंदगी है और इसीलिए हम भारत-चीन के रिश्ते-तनातनी और उसकी जड़ तक आपको ले चलेंगे.
हिंदुस्तान चाहता है कि चीन से उसके रिश्ते शांति-पूर्वक रहें, लेकिन शायद ;चीन ऐसा नहीं चाहता. तभी तो रिश्तों में तनातनी के बीच 48 घंटों के भीतर चीन ने तीन बार बयान दिया और तीनों ही बार धमकी भरा अंदाज है. इस बार तो उसके राजदूत ने जो कुछ कहा, उससे लगता है कि वो ना तो पहले भरोसे लायक था और ना ही आगे रहेगा.
बता दें कि बॉर्डर पर चीनी सैनिकों से झड़प के बीच चीन के राजदूत लू झाओहुई का बयान आया है. उनका कहना है कि गेंद भारत के पाले में है और भारत को ये तय करना है कि किन विकल्पों को अपनाकर इस गतिरोध को खत्म किया जा सकता है. मतलब चीन कह रहा है कि वो पीछे हटने वाला नहीं और अगर कोई हटेगा, तो वो भारत है जिसके जवाब में अरुण जेटली कह चुके हैं कि अब 1962 जैसा समझने की भूल मत करना है.