ये है भारत का इकलौता ऐसा मंदिर, जहां देवी मां को चढ़ाई जाती है चप्पलों की माला

भगवान को प्रसन्न करने अथवा उन्हें मनाने के लोगों के अलग-अलग तरीके होते हैं. कोई अपने भगवान को फूल-माला से प्रसन्न करता है, तो कोई हलवा-पूरी से. मगर आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश में एक ऐसा अनोखा मंदिर हैं जहां प्रसाद के रूप में चप्पलों की माला चढ़ाई जाती है.

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ये है भारत का इकलौता ऐसा मंदिर, जहां देवी मां को चढ़ाई जाती है चप्पलों की माला

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  • July 3, 2017 2:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
कर्नाटक : भगवान को प्रसन्न करने अथवा उन्हें मनाने के लोगों के अलग-अलग तरीके होते हैं. कोई अपने भगवान को फूल-माला से प्रसन्न करता है, तो कोई हलवा-पूरी से. मगर आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश में एक ऐसा अनोखा मंदिर हैं जहां प्रसाद के रूप में चप्पलों की माला चढ़ाई जाती है. 
 
दरअसल, कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के आलंदा तहसील में लकम्मा देवी का मंदिर है. यहां देवी को प्रसन्न करने के लिए मिठाई अथवा फूलमाला नहीं, बल्कि चप्पलों की माला चढ़ाई जाती है. खास बात ये है कि इस मंदिर मं मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त मंदिर के बाहर लगे पेड़ पर चप्पल की माला भी बांधते हैं. 
 
 
बताया जाता है कि यहां हर साल फुटवियर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से लोग मन्नत मांगने के लिए चप्पल चढ़ाने इस मंदिर में आते हैं. दीपावली के छठे दिन इस मंदिर में विशेष मेला लगता है. इस मेले में बड़ी संख्या में लोग मन्नत मांगने आते हैं और मंदिर के बाहर पेड़ पर चप्पल की मालाएं टांग कर चले जाते हैं.
 
इसके पीछे यहां के लोगों मान्यता है कि चप्पल चढ़ाने से देवी मां उन चप्पलों को पहनकर रात में घूमती हैं और फिर बुरी शक्तियों के साये से बचाती हैं. कहा ये भी जाता है कि इस प्रथा से पहले यहां बैलों की बलि दी जाती थी मगर जानवरों की बलि पर रोक के बाद से बलि देना बंद कर दिया गया और यहीं से चप्पल की माला बांधने की परंपरा शुरू हो गई. ये
 
 
वहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि लोग मन्नतें पूरी होने केबाद इस मंदिर के बाहर एक पेड़ पर भक्ति भाव से पूजा याचना कर चप्पलें टांग देते हैं. इतना ही नहीं यहां भगवान को शाकाहारी और मांसाहारी भोजना का भोग भी लगाते हैं. यहां जो मेला लगता है उसे काफी धूमधाम से मनाया जाता है. 
 
इस मंदिर की ख्याति इतनी अधिक है कि यहां मन्नतें मांगने सिर्फ हिंदू ही नहीं, बल्कि मुसलमान भी आते हैं. 

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