नई दिल्ली: साउथ एशिया में चीन ने अपनी बादशाहत पर खतरा महसूस कर लिया है. चीन को ये समझ आ गया कि भविष्य में भारत इस पूरे इलाके में उसको तगड़ी चुनौती देने वाला है. यही वजह है कि बार्डर पर चीन अपनी बौखलाहट को रोक नहीं पाया और सिक्किम में भारतीय सीमा के अंदर भारतीय सेना से उलझ बैठा.
नाथूला के रास्ते से मानसरोवर यात्रा में चीन ने जिस तरह से रोड़ा अटकाया और सिक्किम के पास डोका ला का एक पुराना बंकर चीनी सैनिकों ने तोड डाला. भारतीय सैनिकों के साथ हाथापाई की उसका जवाब चीन को जरुर मिलेगा.
चीन राष्ट्रपति शी जिंनपिंग भारत आए, इसके बाद मोदी की तीन दिवसीय चीन यात्रा पर गए. मोदी ने मानसरोवर यात्रा के शुरु होने का औपचारिक ऐलान किया था. मानसरोवर की यात्रा के लिए नाथुला दर्रे के इस रास्ते के लिए बीते 60 बरस से मांग उठ रही थी. जिसे हरी झंडी मिलने के बाद हर किसी ने चीन का शुक्रिया अदा किया. खासकर उन शिव भक्तों ने जिन्हे दूर्गम रास्ते से एक तरह से निजात मिली थी. लेकिन वही शिवभक्त आज चीन की करतूत की वजह से आधे रास्ते से वापस लौट आए है.
दरअसल कैलाश मानसरोवर जाने के लिए दो रास्ते हैं. पहला और पुराना रास्ता उत्तराखंड ऋषिकेश-अल्मोड़ा-धारचूला-और लिपुलेख का है जो लंबा है. इस लंबे रास्ते की मुश्किलों को कम करने के लिए चीन की मदद से सिक्किम के नाथुला दर्रे के जरिए नया रास्ते बनाया गया.
चीन भारत से दलाई लामा के अरुणाचल के दौरे को लेकर खफा है और दूसरी बड़ी वजह से अमेरिका के वाशिगटन में मोदी और ट्रंप की मुलाकात. ये दोनों ही बाते चीन की आँखों में खटक रही हैं. चीन को लगता है कि भारत अमेरिका के साथ मिलकर आने वाले वक्त में साउथ एशिया में उसकी बादशाहत को चुनौती देने का प्लान कर रहा है.
चीन ने जिस तरह से साउथ एथिया में समुद्री महत्वाकांक्षाओं को बीते कुछ सालों से बढाने का इरादा दिखाया है. खासकर साउथ चाइना सी की दादागिरी वो अमेरिका को खटक रही है. चीन की इस दादागिरी को अमेरिका भारत की मदद से खत्म करना चाहता है.
ऐसे में चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है, फौरी तौर पर उसे विरोध के लिए मानसरोवर की यात्रा पर गए शिवभक्त नजर आए और उसने अपनी असलियत दिखा दी. लेकिन चीन की इस हरकत से भारत परेशान डरने वाला नहीं है क्योकि भारत-चीन की हर चाल के लिए अपनी तैयारी कर रहा है.
चीन पहले ही सामरिक लिहाज से बेहद अहम माने जाने वाले चुंबी घाटी के इलाके में सड़क बना चुका है. वो उसे और ज्यादा विस्तार देने की कोशिश कर रहा है. जहां चीन सड़क बना रहा है वो दरअसल भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर से महज 5 किमी दूर है. सिलिगुड़ी कॉरिडोर भारत को नॉर्थ ईस्ट के तमाम राज्यों से जोड़ता है और चीन की नजर उसी संपर्क को तोडने की है.
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