2012 Delhi Gang Rape Case: 16 दिसबंर 2012 को हुए निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले में चारों दोषियों की फांसी की तारीख अभी तय नहीं हुई है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 6 अप्रैल को होगी. कोर्ट का कहना है कि मामले के सभी दोषी फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर रहे हैं, ऐसे में उन्हें अभी फांसी नहीं दी जा सकती है.
नई दिल्ली. 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए निर्भय गैंगरेप मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में शनिवार को सुनवाई हुई. कोर्ट में निर्भया के माता-पिता की ओर से दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग की. हालांकि कोर्ट ने कहा है कि इस मामले के दोषी क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर रहे हैं, ऐसे में उनकी फांसी की तारीख कैसे तय कर दी जाए. जेल सुप्रीटेंडेंट ने कोर्ट में बताया कि अगस्त 2018 में चार दोषियों में से एक नए उनसे कहा था कि वो सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल करेंगे. दूसरी ओर, निर्भया के अभिभावक की तरफ से कहा गया कि चारों दोषियों में किसी की भी दया याचिका या क्यूरेटिव याचिका लंबित नहीं है.
पटियाला हाउस कोर्ट ने तिहाड़ जेल ऑथोरिटी से रिपोर्ट मांगी है कि क्या चारों दोषियों की तरफ से क्यूरेटिव याचिका दाखिल हुई है या नहीं. अब कोर्ट 6 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई करेगा. मतलब यह कि निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले के दोषियों की फांसी के लिए फिलहाल उनके परिजनों को इंतजार करना पड़ेगा.
गौरतलब है कि दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की रात में निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप हुआ था. जिसके कुछ दिनों बाद पीड़िता ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. इस मामले के एक दोषी ने जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी. साथ ही एक अन्य नाबालिग अपराधी को कोर्ट ने 3 साल के लिए बाल सुधार गृह में भेजने की सजा सुनाई थी. वहीं अन्य चार आरोपियों को निचली अदालत में फांसी की सजा सुनाई गई. इसके बाद अपराधियों ने फांसी की सजा के खिलाफ हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका लगाई पेश की. हालांकि सभी दोषियों की दया याचिका को खारिज कर फांसी की सजा बरकरार रखने के आदेश मिले हैं.
दया याचिका के बाद अब सभी दोषियों के पास फांसी की सजा रद्द करवाने के लिए सिर्फ क्यूरेटिव याचिका का ही विकल्प बचा है. आतंकी याकूब मेमन के केस में भी क्यूरेटिव याचिका दायर की गई थी. कोर्ट का कहना है कि जब तक यह स्पष्ट न हो जाए कि दोषी क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर रहे हैं, या नहीं, तब तक उनकी फांसी की तारीख तय नहीं की जा सकती है.
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