नई दिल्ली: तीनों एमसीडी को आड़े हाथों लेते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने उनको काम न करने की इच्छाशक्ति के मामले में जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार और एमसीडी डेंगू और चिकनगुनिया को कंट्रोल करने के लिए उचित कदम नहीं उठा रही है. जिसको लेकर कोर्ट ने कहा कि वह दिल्ली की सड़कों से निरंतर कूड़े को हटाए जाने के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी निर्धारित करे.
हाई कोर्ट की ऐक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरि शंकर की बेंच ने कहा कि स्पॉट पर सफाई कर्मचारियों की तैनाती को लेकर कई कमियां है जिनको दूर की जानी चाहिए. इसके लिए पूरी प्रक्रिया को व्यवस्थित किया जाना चाहिए. सफाई कर्मचारी सफाई के लिए मौजूद है या नहीं इसको सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाया जाए और वाट्सऐप जैसे ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल किया जाए.
लोग काम नहीं कर रहे
हाई कोर्ट ने एमसीडी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कूड़े के कारण दिल्ली के लोग मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से पीड़ित हो जाते हैं. आपके काम करने की इच्छाशक्ति के अभाव में दिल्ली के नागरिक क्यों डेंगू और चिकनगुनिया से पीड़ित हों ? चीफ जस्टिस ने कहा कि एक दिन में इतना कूड़ा जमा नहीं होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग काम नहीं कर रहे हैं.
नजर रखें
कोर्ट ने कहा कि सुपरवाइजर को खुद सफाई कर्मचारियों पर नजर रखनी चाहिए ताकि वे लोग अपनी ड्यूटी सही तरीके से कर सकें. वहीं एमसीडी के वकील ने जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली में अनअथॉराइज्ड कॉलोनियों में रहने वाले लोग सड़कों पर कई बार कूड़ा फेंक देते हैं. जिसके इस कारण सड़कों पर कूड़ा कई बार रह जाता है.
इसके बाद कोर्ट ने कहा कि अथॉरिटी को लोगों को एकजुट करने के लिए जागरुकता अभियान चलाना चाहिए ताकि ऐसी स्थिति से निपटा जा सके. इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार से तीनों एमसीडी के सफाई कर्मचारियों के वेतन के लिए फंड रिलीज करने के बारे में भी पूछा है. अदालत ने अब अगली सुनवाई बुधवार 28 जून को होगी.