Jamaat E Islami Hizbul Mujahideen Connection: भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी को प्रतिबंधित कर दिया है. जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को मदद करता था. हिजबुल मुजाहिदीन को भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से हथियार और दूसरी मदद मिलती है. जमात-ए-इस्लामी हमेशा से कश्मीर में भारत से अलग एक इस्लामिक शासन स्थापित करने की वकालत करता रहा है. साथ ही यह संगठन कश्मीर के युवाओं को बरगलाकर उन्हें आतंकी गतिविधियों में शामिल करता था.
नई दिल्ली. पुलवामा हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में सक्रिय जमात-ए-इस्लामी संगठन को प्रतिबंधित कर दिया. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर जमात-ए-इस्लामी को बैन करने की जानकारी दी. सरकार का कहना ने साफ किया कि यह संगठन आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहा है, इसलिए इसे गैर-कानूनी संगठन करार दिया जाता है. आपको बता दें कि जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर में प्रमुख रूप से अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादी गतिविधियों का प्रसार कर रहा था. कश्मीर के सबसे बड़े आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को भी जमात-ए-इस्लामी ने ही खड़ा किया.
हिजबुल मुजाहिदीन को जमात-ए-इस्लामी से मिलती है हर तरह की मदद-
हिजबुल मुजाहिदीन को जमात-ए-इस्लामी आतंकियों की भर्ती, फंडिंग और संसाधनों की आपूर्ति समेत हर तरह की मदद करता है. हिजबुल मुजाहिदीन कश्मीर में आतंकी घटनाओं में सक्रिय रूप से शामिल है. इस संगठन को पाकिस्तान हथियार उपलब्ध कराता है, जिसके बल पर आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है और वे कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते हैं. इसके लिए जमात-ए-इस्लामी भी जिम्मेदार है. हिजबुल मुजाहिदीन का मुखिया सैयद सलाउद्दीन वर्तमान में पाकिस्तान में छिपा है.
सलाउद्दीन आतंकी संगठनों के समूह ‘यूनाइटेड जिहाद काउंसिल’ का भी अध्यक्ष है. जमात-ए-इस्लामी अपनी अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तानी एजेंडे के तहत कश्मीर घाटी के अलगाववादी और आतंकवादी तत्वों को समर्थन देता है. साथ ही उनके राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भरपूर मदद करता है.
ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना में भी जमात-ए-इस्लामी का बड़ा हाथ-
जमात-ए-इस्लामी हमेशा लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया का बहिष्कार करवाने और विधि द्वारा स्थापित सरकार को हटाकर भारत से अलग धर्म पर आधारित एक स्वतंत्र इस्लामिक राज्य की स्थापना की वकालत करता रहा है. ‘ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ जो कि एक अलगाववादी और उग्रवादी विचारधाराओं के संगठनों का गठबंधन है और जो पाक प्रायोजित हिंसक आतंकवाद को वैचारिक समर्थन प्रदान करता रहा है, उसकी स्थापना के पीछे भी जमात-ए-इस्लामी का बड़ा हाथ रहा है.
कश्मीर के ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को बरगलाकर बनाया जाता है आतंकी-
जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में खुले तौर पर उग्रवादी संगठनों विशेषकर हिजबुल मुजाहिदीन के लिए काम करते हैं. इन कार्यकर्ताओं की हिजबुल की आतंकवादी गतिविधियों में और आतंकियों को पनाह देने से लेकर हथियारों की आपूर्ति तक में सक्रिय भूमिका रहती है. जमात-ए-इस्लामी धार्मिक गतिविधियों के नाम पर धन उगाही करता है और उसका इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी अलगाववादी गतिविधियों के लिए करता रहा है. पहले भी दो बार इस संगठन को इन गतिविधियों के कारण प्रतिबंधित किया जा चुका है.
जमात-ए-इस्लामी मुख्य रूप से हिज्बुल मुजाहिदीन के खौफ और अपने वित्तीय संसाधनों का इस्तेमाल कर जम्मू-कश्मीर के युवा खासकर ग्रामीण क्षेत्र के युवकों को बरगलाता है, उनमें भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने और युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल करने का काम करता है. जमात-ए-इस्लामी हिजबुल मुजाहिदीन के अलावा कई पाक समर्थक उग्रवादी संगठनों को भी समर्थन देता रहा है.