बीजींग: चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए शिवभक्तों के पहले जत्थे के लिए नाथुला दर्रे का रास्ता खोलने से इनकार कर दिया था. इस मामले पर चीन ने सफाई देते हुए कहा कि वह भारत के साथ संपर्क में हैं. चीन की माने तो दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच यात्रा को लेकर बातचीत चल रही है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग सुहांग ने कहा है कि मुझे जहां तक जानकारी मिली है दोनों देशों की सरकारें इस मुद्दे पर संपर्क में हैं. इस मामले पर उन्होंने जानकारी देने से मना कर दिया कि श्रद्धालुओं को प्रवेश देने से इनकार करने की वजह बारिश और लैंड स्लाइड जैसे मुद्दे हैं. उन्होंने केवल इतना कहा कि दोनों देशों के विदेश मंत्रालय इस मामले पर चर्चा कर रहे हैं.
नाथू ला दर्रे के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा पर निकले 50 श्रद्धालुओं को 19 जून को चीन के इलाके में प्रवेश करना था लेकिन खराब मौसम की वजह से उन्हें आधार शिविर में रुकना पड़ा. इसके बाद 23 जून को उन्होंने फिर से जाने की कोशिश की लेकिन चीनी अधिकारियों ने श्रद्धालुओं को जाने की इजाजत नहीं दी.
चीन में स्थित कैलाश मानसरोवर तीर्थ के लिए दो रास्तों का उपयोग किया जाता है. सिक्किम से होकर नाथुला दर्रे से होकर तिब्बत के जरिए जाने वाला रास्ता अपेक्षाकृत आसान है. दूसरा रास्ता उत्तराखंड से होकर जाता है जो काफी कठिन है. साल 2013 में आई भयंकर बाढ़ से ये रास्ता पूरी तरह तबाह हो गया था.
बता दें कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आश्वस्त किया था कि भारतीय श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए नाथुला दर्रे का उपयोग करने दिया जाएगा. नाथूला कारास्ता 2015 में भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए खोला गया था. नाथू को पार करने के बाद, भारतीय तीर्थयात्रियों को चीनी गाड़ियों से कैलाश ले जाया जाता है.