नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को विपक्षी दल आरक्षण को लेकर उनकी राय पर घेरने की जोर शोर से तैयारी कर रहा है. विपक्ष कोविंद को ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश करने की कोशिश करेगा, जिसकी एससी, एसटी और ओबीसी को नौकरियों में आरक्षण पर राय संदिग्ध है. साथ ही विपक्ष यह भी आरोप लगाएगा कि बीजेपी के करिब भगवा संगठनों ने पहले दलित राष्ट्रपति केआर नारायणन के चयन पर सवाल खड़े किए थे.
17 दिसंबर, 2004 को राज्यसभा में दिए एक भाषण में कोविंद ने एससी-एसटी-ओबीसी को नौकिरियों में आरक्षण पर सवाल उठाए थे. विपक्ष इसी को हथियार बनाने की तैयारी में है. कोविंद ने कहा था कि 50 से ज्यादा सालों से जारी आरक्षण की वजह से एससी-एसटी-ओबीसी और सवर्ण जातियों के बीच कटुता पैदा हो गई है.
बताया जा रहा है कि कोविंद के मामले को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं के बीच एक पर्चा भी बांटा गया है, जिसमें इन तमाम बातों को विस्तार से बताया गया है. विपक्ष का कहना है कि जब केआर नारायणन देश के राष्ट्रपति बनने वाले थे, तब विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने उनकी उम्मीदवारी को हिंदुत्व के खिलाफ साजिश करार दिया था.
एनडीए के साथ-साथ टीआरएस, जेडीयू, बीजेडी जैसे दलों ने कोविंद के समर्थन का ऐलान किया है. कोविंद को मिलने वाले संभावित वोटों को देखें तो अभी उनके खाते में 61 प्रतिशत वोट आने तय हो गए हैं. कुछ और क्षेत्रीय दलों के समर्थन में आने से ये वोट प्रतिशत और बढ़ सकता है. अकेले एनडीए का वोट प्रतिशत ही 48.6 फीसदी है. राष्ट्रपति चुनाव 17 जुलाई को होने वाला है और वोटों की गणना 20 जुलाई को की जाएगी. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई को खत्म हो जाएगा.