SC Notice To Centre On Stone Pelting In J-K: सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार, जम्मू-कश्मीर और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को नोटिस भेजकर जवाब देने को कहा है कि कश्मीर में सेना के जवानों को स्थानीय पत्थरबाजों से बचाने के लिए क्या रप रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट में एक रिटायर्ड और एक सेवारत आर्मी ऑफिसर्स की बेटियों ने जनहित याचिका दायर की है.
नई दिल्लीः कश्मीर में स्थानीय युवाओं द्वारा सेना पर पत्थरबाजी करने के मामले में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को नोटिस भेजा है. इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि सेना को पत्थरबाजों से बचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार गाइडलाइंस बनाए, क्योंकि इन जवानों के मूल अधिकारों का हनन हो रहा है. पुलवामा हमले के बाद घाटी में तनाव है.
सुप्रीम कोर्ट में एक रिटायर्ड और एक सेवारत आर्मी ऑफिसर्स की बेटियों ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में 9000 से ज्यादा पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने और उन्हें माफी दिए जाने के फैसले पर भी सवाल उठाया गया है. कहा गया कि किस आधार पर इन पत्थरबाजों को माफी दी गई. जब उनकी वजह से सेना के जवानों की जान पर आ पड़ती है और कितने घायल होते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार एक निश्चित समय में बताए कि वह घाटी में पत्थरबाजों से जवानों को बचाने के लिए क्या उपाय कर रही है. साथ ही कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को भी मामले में जवाब देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार को भी नोटिस भेजा है. मालूम हो कि घाटी में सैनिकों पर पत्थरबाजी की काफी घटनाएं होती हैं और सैकड़ों जवान घायल होते हैं. कई बार जवान भी पत्थरबाजों को भगाने के लिए पेलेट गन का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें स्थानीय युवक भी घायल होते हैं.