भुवनेश्वर : भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्री की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. जगन्नाथ जी की रथ यात्रा 25 जून से शुरू होगी और इस रथ यात्रा के उत्सव को पारंपरिक तरीके से मनाया जाएगा. परंपरा के अनुसार, तुलसीजी का काढ़ा देकर भगवान जगन्नाथ का उपचार किया गया और वो मंगलवार को स्वस्थ्य हो गये.
बताया जा रहा है कि स्नान पूर्णिमा के बाद भगवान बुखार से पीड़ित हो गये थे. इस बार करीब 10 लाख श्रद्धालुओँ के आने की उम्मीद जताई जा रही है. बता दें कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया से शुरू होकर ये महोत्सव शुक्ल एकादशी तक मनाया जाता है.
मंदिर समिति की मानें तो भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए रथों का निर्माण कार्य काफी जोरों पर चल रहा है. भगवान के रथ को कोलकाता से मंगवाए फूलों से सजाया जाएगा.
बता दें कि ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर को भारत के चार धामों में से एक माना जाता है. भगवान जगन्नाथ के रूप श्री कृष्ण का ये मंदिर लगभग 800 वर्ष पुराना है. यहां रथ यात्रा के लिए भगवान कृष्ण के साथ-साथ भगवान बलराम और सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि जगन्नाथ रथयात्रा में रथों के रंगों का भी अपना एक अलग महत्व होता है. बलरामजी के रथ का रंग लाल-हरा होता है और इसे तालध्वज कहा जाता है. देवी सुभद्रा के रथ को पद्म रथ के नाम से जाना जाता है, जो काले या नीले और लाल रंग का होता है.
मगर भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे अलग होता है. इस रथ को नंदीघोष कहा जाता है और इसका रंग लाल और पीला होता है. इस रथ की ऊंचाई करीब 45 फीट होती है. ये कार्यक्रम करीब 9 दिनों तक होंगे.