नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आज अधिसूचना जारी हो गई. सूत्रों की मानें तो 23 जून को एनडीए के उम्मीदवार का नामांकन दाखिल होगा. दरअसल, 24 जून को मोदी अमेरिका दौरे पर जा रहे हैं. चूंकि ये बड़ा चुनाव है और नामांकन के मौके पर अक्सर प्रधानमंत्री मौजूद रहते हैं. इसलिए भी 23 जून तक उम्मीदवार का नाम फाइनल हो जाने की उम्मीद है.
सोनिया से मिलेगी समिति
आज पीएम से राजनाथ और वेंकैया ने मुलाकात की थी. पीएम ने आम सहमति बनाने की बात कही है. इसी के तहत सरकार की ओर से बनाई कई समिति के सदस्य वेंकैया नायडू ने आज बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्रा और एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल से बात की है. शुक्रवार को समिति के सदस्य सोनिया गांधी और सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से मिलेंगे.
विपक्ष की भी हुई बैठक
राष्ट्रपति चुनाव की उल्टी गिनती शुरू होते ही विपक्ष ने संयुक्त रूप से रणनीति बनानी शुरू कर दी है. दिल्ली में कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों ने मंथन किया. इसमें विपक्ष की ओर से गठित कमेटी के 9 सदस्य शामिल हुए. विपक्ष की इस संयुक्त बैठक में गुलाम नबी आजाद, लालू यादव, शरद यादव, रामगोपाल यादव, सतीश चंद्र मिश्रा, सीताराम येचुरी, डेरेक-ओ-ब्रायन, प्रफुल्ल पटेल मौजूद थे.
सोनिया ने विपक्ष का सब-ग्रुप बनाया
इस वक्त विपक्ष भी अपने पत्ते नहीं खोल रहा और एनडीए की ओर से उम्मीदवार के ऐलान का इंतज़ार कर रहा है. वैसे विपक्ष का एक धड़ा ये मानता है कि अगर सरकार कोई सर्वसम्मत उम्मीदवार चुनती है तो विपक्ष उसका समर्थन करेगा. हालांकि, सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव को लेकर इस महीने की शुरुआत में विपक्षी पार्टियों के दस सदस्यों वाले उपसमूह का गठन किया था.
राष्ट्रपति की रेस में सबसे आगे !
सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार दलित और आदिवासी कार्ड खेल सकते हैं. इस लिहाज से राष्ट्रपति पद के लिए केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत का नाम सबसे आगे चल रहा है. गहलोत दलित हैं, पीएम मोदी के साथ ही संघ के करीब हैं और अनुभवी भी हैं. थावर चंद गहलोत के बाद झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का नाम भी रेस में आगे चल रहा है.
द्रौपदी मुर्मू संवैधानिक पद पर हैं, महिला होने का लाभ मिल सकता है और अनुसूचित जनजाति से भी आती हैं. ऐसे में उनके नाम पर विपक्ष के साथ आम सहमति भी बन सकती है. वैसे सूत्र ये भी बता रहे हैं कि बाबरी ढांचा ढहाने में साजिश का आरोप लगने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के नाम खारिज नहीं हुए हैं. बीजेपी की कोशिश है कि इनमें से किसी एक नाम पर आम सहमति बन जाए. अगर चुनाव की नौबत आई तो स्पष्ट संकेत हैं कि एनडीए ने ज़रूरी आंकड़ा जुटा लिया है.