नई दिल्ली: हम अधिकतर ऊँ का उच्चारण पूजा करते समय करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऊँ का अर्थ क्या है. ऊँ का आपके अंदर के सत्य और शुभ से लेना-देना है, उसका तथाकथित धर्मों से कुछ लेना-देना नहीं है. सत्य तो हर धर्म की आत्मा है, इसलिए जाने अनजाने सभी मुख्य प्रचलित धर्मों में ऊँ को स्थान मिला है.
हिंदू धर्म में ऊँ हर जगह स्थापित है, हर मंत्र की शुरुआत ऊँ से होती है. योग में भी साधना की शुरुआत और समापन ऊँ से ही की जाती है. सिख में ऊँ को सतनाम बताया गया. वहीं जैन धर्म ईश्वर को माने ना माने ऊँ को जरुर मानता है. बौद्ध धर्म में ईश्वर और आत्म तत्व को लेकर भले ही मतभेद हो लेकिन ऊँ को लेकर पूर्ण सहमति है.
इस्लाम में आमीन और ईसाइयों में आमेन या एमेन(Amen) ऊँ का ही अलग तरह से उच्चारण है. वहीं ईसाइयों में प्रचलित पवित्र शब्द ओमनी पोटेंट(सर्वशक्तिमान), ओमनी प्रजेंट(सर्वव्यापी) जैसे शब्द ईश्वर के लिए बताया गया है. साफ देख सकते हैं कि ये शब्द ऊँ या ओम रुट से जुड़े हैं और योग शास्त्र में भी ऊँ को सभी शक्तियों से पूर्ण और सर्वव्यापी बताया गया है.
योग में ऊँ का इस्तेमाल शारीरिक-मानसिक-प्राणिक चिकित्सा के रुप में भी किया जाता है. चिकित्सा का एक ही धर्म होता है- ईलाज देना, तक़लीफ मिटा देना या कम करना. ऊँ को आप हीलिंग के रुप में ही सही अपनाकर अपना कल्याण कर सकते हैं.
मानसिक तकलीफ या बीमारी
सभी तरह की मानसिक बीमारियां या तकलीफ की वजह हमारा मन है. मन के तल पे पैदा होने वाले हमारे खुद के विचार हमें मुसीबत में डाल देते हैं. जब हम ऊँ का उच्चारण या चांटिंग करते हैं तो हमारा मन विचारों की दलदल से बाहर आने लगता है और लगातार अभ्यास से हम तनाव, डिप्रेशन अनिद्रा जैसी मन की बीमारियों से खुद को दूर कर पाते हैं.
हार्मोन संबंधित बीमारियां
जब हमारा शरीर-मन तनावग्रस्त होता है तो हम अपने आंतरिक अंगों की कार्यप्रणाली को असंतुलित कर देते हैं. गलत खानपान और बिगड़ा लाइफस्टाइल हार्मोन की दुनिया में भूकंप ले आता है. ऊँ चांटिंग से सूर्य और चंद्रनाड़ी (सिमपैथिक और पारासिमपैथिक नर्ब्स सिस्टम) में संतुलन आता है और इससे ना सिर्फ हमारे हार्मोन बल्कि सभी आंतरिक अंग सुचारु रुप से काम करने लगते हैं. ऐसे में ऊँ हमें थायराइड, डाइबिटीज़ जैसी हार्मोनल बीमारियों को मैनेज करने में मदद करता है.