मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को उन लोगो को कड़ी फटकार लगायी जो मुंबई मेट्रो-3 कोलाबा अंधेरी सीप्ज का विरोध कर रहे हैं. कोर्ट ने मेट्रो विरोधी कार्यकर्ताओं को ज़मीनी हकीकत समझने की हिदायत दी है. बता दें कि मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन, बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में मेट्रो स्टेशन के निर्माण के लिए 108 मैंग्रोव काटने की अनुमति के लिए हाई कोर्ट पहुंची थी.
इससे पहले मैंग्रोव की कटाई मामले को लेकर बॉम्बे एनवायर्नमेंटल एक्शन ग्रुप नाम की संस्था ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. बॉम्बे एनवायर्नमेंटल एक्शन ग्रुप की इस जनहित याचिका पर अदालत ने मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन को आगाह किया था की जब भी मैंग्रोव की कटाई की जरूरत होगी तब तब उसे बॉम्बे हाई कोर्ट से इज़ाज़त लेनी होगी. इसी सिलसिले में मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंची थी.
मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने अदालत में दलील दी कि मेट्रो स्टेशन के निर्माण में जितनी हरियाली बर्बाद हो रही है, उसको पुर्नस्थापित करने की पूरी कोशिश की जा रही है. इस प्रोजेक्ट के लिए जापान से लोन लिया गया है और इसमें देरी होने से लागत सम्बन्धी कई दिक्कते खड़ी हो सकती है.
मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के इस दलील पर बॉम्बे एनवायर्नमेंटल एक्शन ग्रुप ने मैंग्रोव की कटाई का पुरज़ोर विरोध किया. बॉम्बे एनवायर्नमेंटल एक्शन ग्रुप के वकील ने अदालत को बताया की बीकेसी में बनने वाला मेट्रो स्टेशन सीआरजेड 3 में आता है और वहां अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
हालांकि, बॉम्बे एनवायर्नमेंटल एक्शन ग्रुप की दलील पर अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि हर मामले में विरोधात्मक रवैया ठीक नहीं है. मुंबई के हालत को भी समझने की ज़रुरत है. जिस मेट्रो का निर्माण तीस साल पहले होना चाहिए था उस पर अभी काम शुरू हुआ है.
बता दें कि मामले की अगली तारीख 24 जून रखी गयी है. अगली सुनवाई में बॉम्बे एनवायर्नमेंटल एक्शन ग्रुप को मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन के मैंग्रोव कटाई की अनुमति की दरख्वास्त का जवाब देना होगा.