लंदन: तीन जून को लंदन में दो जगहों पर आतंकी हमला हुआ था, इस हमले में सात लोगों की मौत और 47 लोग घायल हो गए थे. इस हमले को अजांम देने वाले हमलावरों को अंतिम संस्कार करने के लिए कोई इमाम तैयार नहीं हो रहा है. इन आतंकियों के अंतिम संस्कार के लिए 130 इमामों और मुस्लिम धर्मगुरूओं से संपर्क किया गया था लेकिन सभी ने इनकार कर दिया.
इस मामले पर मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि आतंकियों ने इस्लाम के खिलाफ काम किया है. इस्लाम सभी को प्यार से रखना और प्यार बांटना सिखाता है लेकिन इन लोगों ने इस्लाम के आदर्शों के खिलाफ काम किया है. इसलिए इन हमलावरों को कोई हक नहीं है कि इन्हें इस्लाम के मुताबिक सुपुर्द-ए-खाक किया जाए. साथ ही हम अपने इमामों और धर्मगुरुओं से अपील करते हैं कि वे इस काम के लिए इनकार कर दें.
सोशल मीडिया पर जारी अपने बयानों में कहा है कि इन लोगों ने इंसानियत के लिए कोई काम काम नहीं किया है, न ही इनके किए काम का बचाव कर सकते हैं और न ही समर्थन किया जा सकता है. उनकी गतिविधियां इस्लाम के शिक्षाओं के मुताबिक नहीं है. इन आतंकियों का यही अंजाम होना था. वे लोग इस्लामिक संस्कार योग्य नहीं हैं. वैसे आमतौर पर हम लोग व्यक्ति के कर्मों की बिना परवाह किए अंतिम संस्कार कर देते हैं. लेकिन इन्होंने इंसानियत और इस्लाम के आदर्शों के खिलाफ जाकर यह गुनाह किया.
इंग्लैंड की प्रधानमंत्री थेरेसा और अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी. साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवाद से निपटने के लिए ब्रिटेन को हरसंभव मदद का वादा किया था. यह हमला ऐसे वक्त हुआ है जब इंग्लैंड में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी खेली जा रही है और बड़ी संख्या में दूसरे देशों के लोग यहां पहुंचे थे.
पहला हमला लंदन ब्रिज पर उस समय हुआ जब एक वैन ने वहां पैदल चल रहे लोगों को टक्कर मारनी शुरू कर दी. घटना के बाद लंदन ब्रिज बंद कर दिया गया. दूसरी वारदात शहर की बॉरो मार्केट (ब्रिज के ही नजदीक एक रेस्तरां) में हुई. एक युवक ने वहां खाना खा रहे लोगों पर चाकू से हमला कर दिया. बता दें कि दो हफ्ते पहले मैनचेस्टर में आतंकी हमला हुआ था. वहां एक आत्मघाती हमलावर ने एरिना ग्रेंड में कंसर्ट के दौरान खुद को उड़ा लिया था. उसमें 23 लोगों की जान चली गई थी.