नई दिल्ली. दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस पर हक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर निशाना साधा है. इस बार भी उन्होंने सार्वजनिक तौर पर एक पोस्टर छपवाकर चिपकाए हैं और इस पोस्टर में एक चिट्ठी के माध्यम से पीएम मोदी पर तंज कसा है कि आप दिल्ली की […]
नई दिल्ली. दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस पर हक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर निशाना साधा है. इस बार भी उन्होंने सार्वजनिक तौर पर एक पोस्टर छपवाकर चिपकाए हैं और इस पोस्टर में एक चिट्ठी के माध्यम से पीएम मोदी पर तंज कसा है कि आप दिल्ली की कानून व्यवस्था पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि आप पर देश की जिम्मेदारी है. इसके अलावा इसी से संबंधित एक वीडियो भी जारी की गयी है.
दिल्ली में तमाम जगहों पर लगे इन पोस्टरों में छपी चिट्ठी के माध्यम से मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पीएम मोदी से कहा कहा है कि दिल्ली पुलिस सीधे आपके नियंत्रण में आती है और आपके पास समय नहीं है जिसकी वजह से पुलिस पूरी तरह से निरंकुश हो चुकी है. उस पर किसी का कंट्रोल नहीं बचा है.
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पीएम को लिखी चिट्ठी में अपील की है कि दिल्ली के लोग डरे हुए हैं और दिल्ली में अपराध बढ़ता जा रहा है. उन्होंने पीएम से आग्रह भी किया है कि वह कम से कम एक घंटा हफ्ते में दिल्ली वालों के लिए निकालें और जनता से मिला करें ताकि दिल्ली की कानून व्यवस्था में सुधार हो सके. ऐसा नहीं कर पाने पर सीएम केजरीवाल ने पीएम मोदी से कहा कि आप पुलिस का कंट्रोल हमें दे दीजिए और हम जनता के साथ मिलकर दिल्ली पुलिस की व्यवस्था ठीक कर देंगे.
अपने एक दिन पुराने कमेंट ‘ठुल्ला’ के विपरीत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस चिट्ठी में लिखा है कि ऐसा नहीं है कि पुलिसवाले खराब हैं. दिल्ली पुलिस के लोग बहुत अच्छे हैं, लेकिन उनका सिस्टम खराब है. वो लोग तो खुद बहुत दुखी हैं. दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने यह चिट्ठी पीएम को आनंद पर्वत पर हुई हत्या को आधार बनाकर लिखी है और फिलहाल इलाके में पुलिस की उचित व्यवस्था किए जाने की मांग की है.
उधर इस चिट्ठी के साथ सीएम केजरीवाल ने दिल्लीवासियों के नाम भी एक खुला खत लिखा है और कहा कि लोगों को भी ऐसे अपराध रोकने के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरेआम इस लड़की की 32 बार चाकू गोदकर हत्या कर दी गई और कोई बचाने नहीं आया. यह ठीक नहीं है. लोग डरते हैं, लेकिन अपने परिवार का कोई सदस्य होता है तो लोग हिम्मत जुटा लेते हैं। ऐसे समय यही सोचकर लोगों को आवाज उठानी चाहिए.