नई दिल्ली: कभी-कभी जिंदगी में एक के बाद एक परेशानियां आती रहती हैं. इसके लिए आप परेशान होने के बजाए समाधान निकालने पर फोकस करेंगे तो आप खुश रहेंगे. इन समस्याओं का समाधान निकालने वाले उपाय बता रहे हैं योग गुरू धीरज वशिष्ठ.
इससे संबंधित एक कहानी आपको बताते हैं. गौतम बुद्ध के पास हर दिन सैकड़ों लोग अपनी दुविधाओं और परेशानियों के समाधान को लेकर आते रहते थे. बुद्ध के परम शिष्य आनंद हर दिन तथागत के बताए समाधान को बड़े मनोयोग से सुनते थे.
एक दिन आनंद ने बुद्ध से पूछा कि ‘भगवान ! किसी भी तरह की समस्या हो लेकिन आपका समाधान एक ही तरह का होता है, आपके जवाब एक ही होते हैं कि ‘होश में आ जाओ’, भला ऐसा क्यों?’ बुद्ध कहते हैं- ‘समस्या अलग-अलग जरुर है, लेकिन सभी समस्याओं की वजह एक ही है-हमारी बेहोशी. जैसे रात में हम तरह-तरह के बुरे सपने देख रहे हों और नींद में परेशान या डरे हों, लेकिन इन सभी बुरे सपनों का ईलाज एक ही है- हमारा नींद से जग जाना. ठीक उसी तरह हमारी ज्यादातर समस्याओं का समाधान हमारा होश है, हमारा जागरण है.
योग एक, भ्रांतियां अनेक
योग परम होश में आने का अनूठा उपाय है. योग महज शरीर को मरोड़ने या सांसों पे कंट्रोल करने की तक़नीक भर नहीं. जैसे-जैसे योग की ख्याति पूरी दुनिया में बढ़ी है, वैसे-वैसे ही योग को लेकर कई भ्रांतियां भी पैदा हुई. कई मानते है कि योग मोटापा कम करने के लिए है, तो कोई लॉजिक देते है कि वो सेहतमंद है इसलिए योग की उनको जरुरत नहीं, यानी बीमार लोगों के लिए योग है. योग को लेकर इसतरह की कई गलत धारणाएं सुनी जा सकती है.
वर्तमान में होना है योग
योग प्रैक्टिस के कई टूल्स है. आसन, प्राणायाम, धारणा, ध्यान जैसे कई टूल्स के जरिए योग हमे अपने तल से जोड़ता है, यानी उसके प्रति हमें होश में लाता है. हमारा मन हर तरह से हमें बेहोशी की तरफ ले जा रहा है. मन का ये स्वभाविक गुण है कि वो या तो भविष्य में होगा या फिर बिते हुए वक्त यानी भूत में. जीवन हमेंशा वर्तमान में होता है, लेकिन भूत-भविष्य में फंसा हमारा मन हमें जीवन से तोड़े रखता है. जब हम योग प्रैक्टिस करते है तो हम अपने मन को भूत-भविष्य से हटाकर वर्तमान में ले आने में सफल होते हैं, जो होश की अवस्था है, हर टूल्स की प्रैक्टिस हमें वर्तमान के प्रति ज़्यादा सजग होने की टैनिंग देता है और वर्तमान में होना ही योग है.