Supreme Court on Mayawati: मायावती को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मूर्तियों पर खर्च हुआ पैसा लौटाएं बसपा सुप्रीमो

Supreme Court on Mayawati: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सख्त रुख अपनाते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती को तगड़ा झटका दिया. कोर्ट ने कहा कि मायावती को स्मारकों और मूर्तियों पर खर्च हुए सरकारी पैसे को लौटाना होगा. इस केस में अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी.

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Supreme Court on Mayawati: मायावती को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मूर्तियों पर खर्च हुआ पैसा लौटाएं बसपा सुप्रीमो

Aanchal Pandey

  • February 8, 2019 12:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. मुख्यमंत्री रहते हुए बनवाए गए स्मारकों और मूर्तियों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा उन्हें इन पर खर्च हुए सरकारी पैसे को लौटाना होगा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि वह इस मामले पर 2 अप्रैल को सुनवाई करेंगे. 

सुप्रीम कोर्ट साल 2009 में दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्हें सरकारी पैसे से मूर्तियां बनाने से रोकने का निर्देश देने को कहा गया था. मूर्तियों पर खर्च हुए सरकारी पैसे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 10 साल पहले याचिका दायर की गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”पहली नजर में तो बीएसपी सुप्रीमो मायावती को मूर्तियों पर खर्च किया गया जनता का पैसा लौटाना होगा. चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी. ” 

अब तक क्या हुआ: 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यूपी में पूर्ववर्ती बसपा सरकार द्वारा बनाए गए स्मारकों और पार्कों के निर्माण में कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर 7 जगहों पर छापेमारी की थी. यूपी राजकीय निर्माण निगम और निजी फर्मों के इंजीनियरों के घरों पर भी छापेमारी की गई. एजेंसी ने यूपी राज्य सतर्कता विभाग द्वारा दर्ज मामले के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है.

मायावती की बसपा सरकार ने 2007-11 कार्यकाल के दौरान लखनऊ में अंबेडकर स्मारक, कांशीराम स्मारक, बौद्ध विहार शांति उपवन, कांशी राम इको-गार्डन, कांशीराम संस्कृति स्थल, रमाबाई अंबेडकर स्थल और प्रतीक स्थल समता मूलक चौराहे का निर्माण किया था. इसके अलावा नोएडा की 33 एकड़ जमीन पर दलित प्रेरणा स्थल और ग्रीन गार्डन भी बनाया गया था.सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, इन स्मारकों की कुल लागत 5,919 करोड़ रुपये आई थी. यूपी सतर्कता विभाग ने 2014 में कई इंजीनियरों और अफसरों के खिलाफ कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में केस दर्ज किया था.

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