जब राजकपूर के लिए नरगिस ने बेच दिए थे गहने

राज कपूर और नरगिस के रिश्तों को लेकर काफी कुछ कहा सुना जाता है. रिषि कपूर तक ने इस बात को माना था कि उनके पिता का अफेयर था, तो नरगिस की मौत के बाद सुनील दत्त ने भी एक इंटरव्यू में इस रिश्ते को लेकर रिएक्शन दिया था

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जब राजकपूर के लिए नरगिस ने बेच दिए थे गहने

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  • June 1, 2017 8:21 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
मुंबई: राज कपूर और नरगिस के रिश्तों को लेकर काफी कुछ कहा सुना जाता है. रिषि कपूर तक ने इस बात को माना था कि उनके पिता का अफेयर था, तो नरगिस की मौत के बाद सुनील दत्त ने भी एक इंटरव्यू में इस रिश्ते को लेकर रिएक्शन दिया था कि नरगिस का पहले किससे क्या था, मुझे इससे कोई मतलब नहीं था और ना मैंने जानने की कोशिश की, मेरे साथ उन्होंने ईमानदारी से रिश्ता निभाया.
 
मदर इंडिया से शुरू हुई उनकी प्रेम कहानी के बाद जब उन्होंने शादी की तो उनके रिसेप्शन का खर्चा देवआनंद ने क्यों उठाया और नरगिस ने राज कपूर की खातिर क्यों बेचे गहने इसके पीछे भी दिलचस्प कहानियां हैं.
 
राज कपूर उन दिनों 22 साल के थे और पृथ्वीराज कपूर के बेटे के तौर पर ही जाने जाते थे. एक दिन अपने पिता के मामा के लड़कों प्रेम नाथ और राजेन्द्र नाथ के घर पहुंचे. जहां सफेद साड़ी में उन्होंने उनकी बहन कृष्णा को पहली बार देखा. 16 साल की कृष्णा राज को भा गईं.
 
1946 के मई महीने में उनकी शादी एमपी के रीवा में हुई और 1947 में उनकी पहली फिल्म आई नीलकमल, अगले साल उन्होंने खुद बनाई आग और 1949 वो अंदाज के सैट पर पहली बार मिले नरगिस से. ये दोस्ती इतनी बढ़ी कि कृष्णा राज ने बायोग्राफी में लिखा है कि वो शराब पीकर आते थे और बाथटब में पड़े रोते रहते थे.
 
हालांकि नरगिस से कृष्णा इसलिए भी बहुत दुखी नहीं हुई क्योंकि नरगिस का आरके बैनर को बनाने में बड़ा योगदान था और उन्हें राज की गलती ज्यादा लगती थी.  गुस्सा तब आया था उन्हें जब बैजयंती माला से राज का नाम जुड़ा, वो अपने बच्चों के साथ घर छोड़ गईं और नटराज होटल में रहने लगीं. फिर जब पदमिनी के साथ भी नाम जुड़ा, तब भी कृष्णा राज कपूर की आदतों से खून का घूंट पीकर रह गईं. लेकिन वो राज का साथ हमेशा निभाती रहीं, उनके बच्चों को संभालती रहीं. कृष्णा की बहन उमा ने भी प्रेम चोपड़ा से शादी की थी.
 
एक दिन जब देवआनंद के घर पहुंचकर जब सुनील दत्त और नरगिस ने ये बताया कि हमने शादी कर ली है, तो उन्हें बड़ा शॉक लगा. लेकिन बाद में उनका रिसेप्शन देवआनंद ने अपने पैसों से करवाया. कहा जाता है कि इस शादी से काफी खुश थे देवआनंद क्योंकि इससे उनके दोस्त राज कपूर का घर बिगड़ने से बच गया था. दोनों की पहली मुलाकात दो बीघा जमीन के सैट पर हुई, तब वो स्टार थीं और सुनील दत्त स्टूडेंट. उसके बाद दोनों मदर इंडिया में साथ काम कर रहे थे.
 
सुनील नए थे, मुंबई में किसी को नहीं जानते थे. नरगिस अपने पिता मोहन बाबू की डॉक्टर बनने की ख्वाहिश तो पूरी नहीं कर पाई थीं, लेकिन कैंसर पीडितो की सेवा के लिए हॉस्पिटल्स आती जाती रहती थीं. सुनील की बहन काफी बीमार पड़ी तो सुनील द्त्त को नहीं पता था कि क्या करना है. एक दिन नरगिस उनके घर आईं और उनकी बहन को अपने साथ हॉस्पिटल ले गईं, उनका ऑपरेशन भी करवा दिया, बिना सुनील दत्त को बताए. 
 
सुनील दत्त उस दिन से उनके फैन हो गए, सोचने लगे कि ऐसी बीवी होनी चाहिए. लेकिन नरगिस के मन में प्यार तब पनपा जब मदर इंडिया के सैट पर आग लग गई, नरगिस उस आग में फंस गई और नरगिस को बचाने के लिए सुनील दत्त उस आग में कूद गए और बचाकर ले आए. उस दिन नरगिस ने मौत के दर्शन कर लिए थे, उस दिन से उनकी जिंदगी का नजरिया तो बदला ही, सुनील दत्त को लेकर उनके ख्यालात भी बदल गए और एक दिन दोनों ने शादी कर ली.
 
लेकिन एक बार नरगिस ने बड़े ही नाजुक समय पर राज कपूर की मदद की थी, ये बात कम ही लोगों को पता है. राजकपूर की बीवी इस बात को जानती थीं. दरअसल आवारा की शूटिंग के वक्त राज कपूर ने एक गाना ‘घर आया मेरा परदेसी’ को बड़े ही भव्य सैट पर फिल्माने का मूड बनाया. जितना बजट उन्होंने सोचा था, वो उससे कई गुना ज्यादा चला गया, उस वक्त किसी गाने पर आठ लाख रुपए खर्च करना बड़ी बात थी. आप इस गाने को देखकर ही अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसा ड्रीम सैट रहा होगा उस वक्त के लोगों के लिए. 
 
राज कपूर एकदम खाली हो गए, उनकी परेशानी देखकर नरगिस ने उन दिनों अपनी ज्वैलरी बेच दी और पैसा राज कपूर को दे दिया. इससे राज कपूर बाकी की शूटिंग पूरी कर पाए. फिल्म हिट होते ही राज कपूर ने नरगिस का पैसा वापस तो कर दिया, लेकिन वो इस मदद को भूले नहीं.
 

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