नई दिल्ली: आज इंडिया न्यूज के शो ‘महाबहस’ में एक ऐसे बड़े राज का खुलासा हुआ है, जो बीते 25 सालों से राजनीति के गलियारों से लेकर अदालत में गूंज रहा है. मसला बाबरी मस्जिद गिराए जाने का है, जिसमें पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और मौजूदा केंद्रीय मंत्री उमा भारती समेत 12 लोगों के खिलाफ आज आरोप तय हुए हैं.
इस पूरे मसले पर वरिष्ठ हिन्दुत्ववादी नेता महंत राम विलास वेदांती ने कहा कि मैंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जीवीएल नरसिम्हा राव से कहा था कि आप चाहेंगे तभी वह ढांचा टूटेगा. तब 5 दिसंबर की रात 11 बजे उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि हमारा क्या सहयोग चाहिए.
तब मैंने उनसे साफ शब्दों में कहा था कि सेना का हेलीकॉप्टर या फिर कोई सेना अयोध्या की तरफ न आए. और इसी का नतीजा था कि 10,000 डोगरा रेजीमेंट के सैनिक फैजाबाद में खड़े थे लेकिन नरसिम्हा राव ने मेरे कहने पर वहां के सैनिकों को अयोध्या नहीं भेजा.
उन्होंने आगे कहा कि अगर एक भी हेलीकॉप्टर या फिर सेना वहां आ जाती, तो वह ढांचा नहीं टूट पाता. उन्होंने दावा किया कि नरसिम्हा राव ने विवादित ढांचा तोड़वाने में काफी सहायता किया.
वेदांती के मुताबिक, बाबरी मस्दिज वहां थी ही नहीं. बाबरी मस्जिद का कोई निशान ही नहीं था. हमने तो विवादित ढांचा तोड़वाया था. ये वो जगह थी, जहां पर 14 कसौटी के कमरे में देवी-देवताओं की मूर्ती थी. बता दें कि वेदांती ने खुले तौर पर कहा कि इसमें कोई साजिश नहीं थी, बल्कि राम लला का मंदिर बनाने के लिए ये करना बहुत जरूरी था.