Section 80 IBA: सरकार ने घर खरीद को ज्यादा किफायती बनाने के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80-आईबीए (हाउसिंग फॉर ऑल) को एक साल के लिए और बढ़ाया है. इसका मतलब है कि 31 मार्च 2020 तक जो प्रोजेक्ट्स अप्रूव हुए हैं, उन पर इनका फायदा मिलेगा. पहले यह छूट मार्च 2019 तक थी. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80-आईबीए को 1 अप्रैल 2017 को वित्त कानून, 2016 में जोड़ा गया था. आइए आपको बताते हैं कि आखिर सेक्शन 80-आईबीए क्या है.
नई दिल्ली. लोकसभा 2019 चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने मिडिल क्लास और नौकरीपेशा वर्ग को बड़ी राहत दी है. अब 5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. अगर करदाता भविष्य निधि, विशिष्ट बचतों और बीमा आदि में निवेश करेंगे तो वे 6.5 लाख तक टैक्स बचा सकते हैं. इससे करीब 3 करोड़ मध्यमवर्गीय करदाताओं को 18,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा. इसके अलावा सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन (मानक कटौती) भी 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी है.
सरकार ने घर खरीद को ज्यादा किफायती बनाने के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80-आईबीए (हाउसिंग फॉर ऑल) को एक साल के लिए और बढ़ाया है. यानी जो प्रोजेक्ट्स 31 मार्च 2020 तक अप्रूव हुए हैं, उन पर इनका फायदा मिलेगा. पहले यह छूट मार्च 2019 तक थी. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80-आईबीए को 1 अप्रैल 2017 को वित्त कानून, 2016 में जोड़ा गया था. आइए आपको बताते हैं कि आखिर सेक्शन 80-आईबीए क्या है:
Section 80-IBA के तहत अगर कर निर्धारिती की कुल आय में बिल्डिंग या हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का मुनाफा शामिल है तो ऐसे बिजनेस से लाभ में 100 प्रतिशत कटौती की जाएगी. इस सेक्शन के तहत प्रोजेक्ट 1/6/2016 से 31/3/2019 तक अप्रूव होना चाहिए. इस तारीख को अब 31 मार्च 2020 तक दिया गया है. प्रोजेक्ट मंजूर होने के तीन वर्ष के भीतर पूरा होना चाहिए. अगर एक से ज्यादा बाद मंजूर हुआ है तो पहली मंजूरी से 3 साल में प्रोजेक्ट पूरा होना चाहिए. इस एक्ट के तहत दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई में 30 वर्ग मीटर के घर प्रोजेक्ट पर छूट दी गई है.
प्रोजेक्ट को पूरा तब माना जाएगा, तब अथॉरिटी से लिखित में उसे कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिल जाएगा. कटौती के अनुदान के लिए जरूरी कुछ शर्तों को पूरा करने के लिए फाइनेंस एक्ट 2017 में सेक्शन 80-आईबीए में कुछ संशोधन किए गए थे. साल 2018 में, नए नियम में उस अवधि का विस्तार करने की इजाजत दी गई है, जिसके तहत आवास परियोजना को मंजूरी की तारीख से पांच साल तक पूरा किया जाना है.