Sabarimala Verdict: सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश मुद्दे पर दायर की गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 6 फरवरी को सुनवाई करेगी. सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का ऐतिहासिक आदेश सुप्रीम कोर्ट पहले दे चुकी है. जिस पर कई लोगों ने पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की थी.
नई दिल्ली. केरल के सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट 6 फरवरी को सुनवाई करेगी. सबरीमाला मंदिर में रजस्वला उम्र वाली (10 से 50 वर्ष) महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में इस परंपरा को तोड़ते हुए सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद भी स्थानीय लोगों के भारी विरोध के कारण सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है.
सबरीमाला विवाद पर दोनों ओर से कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ 6 फरवरी को सुनवाई करेगी. समाचार एजेंसी एएनआई ने इस बात की जानकारी देते हुए ट्वीट किया है. बताते चले कि पिछले महीने महीने दो रजस्वला उम्र वर्ग की महिलाएं (कनकदुर्गा और बिंदू) ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए यह जानकारी दी थी कि उन्होंने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश किया.
Supreme Court to hear on February 6 the review petitions filed against verdict allowing entry of women of all age groups into the #Sabarimala temple. #Kerala pic.twitter.com/1RPmUTOrnF
— ANI (@ANI) January 31, 2019
इन दो महिलाओं द्वारा फेसबुक पर किए गए इस खुलासे के बाद उनको काफी धमकाया गया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनों महिलाओं को सुरक्षा देने का आदेश दिया था. बताते चले कि परंपरा के अनुसार सबरीमाला मंदिर में रजस्वला (माहवारी) उम्र वाली महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है. मान्यता है कि सबरीमाला मंदिर में स्थित भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी हैं. रजस्वला उम्र वाली महिलाओं के संपर्क में आने से भगवान अयप्पा की शक्ति कम जाती है. जिसके कारण पिछले लंबे समय से सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है.