…तो ये है प्लेन जैसी ‘तेजस’ ट्रेन की स्पीड का सच !

रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने सोमवार को मुंबई में पहली तेजस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. ये ट्रेन मुंबई और गोवा के बीच हफ्ते में 5 दिन चलेगी. हालांकि, इसकी स्पीड 200 किमी प्रति घंटा नहीं बल्कि 110 किमी प्रति घंटा ही रखी गई है.

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…तो ये है प्लेन जैसी ‘तेजस’ ट्रेन की स्पीड का सच !

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  • May 22, 2017 6:36 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने सोमवार को मुंबई में पहली तेजस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. ये ट्रेन मुंबई और गोवा के बीच हफ्ते में 5 दिन चलेगी. हालांकि, इसकी स्पीड 200 किमी प्रति घंटा नहीं बल्कि 110 किमी प्रति घंटा ही रखी गई है.
 
 
तेजस की रफ्तार का सच
प्लेन जैसी ट्रेन तेजस को मुंबई से गोवा के लिए रवाना किया गया. सुविधाओं के मामले में इसमें वो सबकुछ है जो विमानों में होता है. तेजस के खास डिब्बों की बनावट की वजह से इसमें अधिकतम 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने की क्षमता है. लेकिन भारत में फिलहाल ऐसे ट्रैक नहीं कि ये ट्रेन उस स्पीड से दौड़ सके. फिलहाल ट्रेन की अधिकतम स्पीड 160 किलोमीटर प्रतिघंटा रखी गई है लेकिन असल में रफ्तार उससे कहीं कम है.
 
 
सुपरफास्ट तेजस सीएसटी स्टेशन से सुबह 5 बजे रवाना होगी और दोपहर 1.30 बजे करमाली पहुंचेगी. वहीं, करमाली से दोपहर 2:30 बजे निकलेगी और सीएसटी स्टेशन रात 9 बजे पहुंचेगी. मुंबई-गोवा के बाद दूसरी तेजस ट्रेन को दिल्ली-चंडीगढ़ रूट पर चलाए जाने के आसार हैं.
 
 
200 किमी/घंटा में दिक्कत क्या है?
असल में भारत में सेमी-हाइस्पीड ट्रेन के लिए दिल्ली से आगरा के बीच ट्रैक को तैयार किया गया है. इस ट्रैक पर 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन को चलाने की कोशिश की गई है. लेकिन इसमें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
 
आबादी वाले इलाकों में पटरियों के दोनों तरफ फेंसिंग न होने से ट्रेन को पूरी रफ्तार से दौड़ाने में जोखिम बढ़ जाता है. पटरियों में ऐसे खास उपकरण नहीं लगाए जा सके जिनसे ट्रेन की स्पीड कम न हो. वहीं कोंकण रेलवे की बात करें तो वहां कई सारी सुरंगों के बीच से होकर ये ट्रेन गुजरेगी. कई इलाकों में लैंडस्लाइड की समस्या भी है. लिहाजा, इसकी स्पीड 110 किलोमीटर प्रतिघंटा रखी गई है.
 
 
अंदर की बात
अंदर की बात ये है कि रफ्तार के मामले में तेजस ट्रेन अपने नाम को सार्थक नहीं कर पाएगी. फिर भी रेल यात्रियों के लिए ये बेहतरीन तोहफा है, क्योंकि सुविधाओं के मामले में राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनें तेजस के सामने कहीं नहीं ठहरतीं. रेलवे के सामने अब एक ही चुनौती है कि वो तेजस की सुविधाओं को कितने दिन तक सहेज कर रख पाएगी ? क्योंकि भारत में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं, जो रेल को अपनी संपत्ति समझते हैं और मौका मिलते ही रेलवे की संपत्ति पर हाथ साफ करने से बाज नहीं आते.

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