श्रीनगर: सैयद अली शाह गिलानी ने अलगावादी नेता नईम खान की संस्था को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है. एक निजी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में नईम खान पैसों के बदले घाटी में तनाव पैदा करने की बात कह रहा था.
गिलानी ने कहा कि कश्मीर में लोग किसी भी आंदोलन को अपनी मर्जी से सपोर्ट करते हैं जैसे कि वो अपने-अपने धर्मों को अपनी मर्जी से मानते हैं. स्टिंग ऑपरेशन को लेकर गिलानी ने कहा कि ये हमारे मुवमेंट को कमजोर करने की साजिश है.
उन्होंने कहा कि हमने एग्जीक्यूटिव मीटिंग में नईम अहमद खान और बाकी सभी सदस्यों को बुलाकर अपना प्वाइंट रखने को कहा था लेकिन पुलिस ने हुर्रियत नेताओं को उनके घर हैदरपोरा में मीटिंग नहीं करने दी.
गिलानी ने वीडियो की सत्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि हुर्रियत का चेयरमैन होने के नाते मेरा फर्ज है कि जबतक इस मामले में सभी पक्ष और नईम खान सफाई नहीं दे देते तबतक मैं नईम की संस्था को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से बर्खास्त कर दूं.
गिलानी ने ये भी कहा कि ये भी मेरी फर्ज है कि मैं कश्मीरी लोगों को बताऊं की भारतीय मीडिया एकतरफा बात करती है और उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता. गिलानी ने अपने बयान में ये भी कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि पाकिस्तान हमारी मुहीम का समर्थन करता है और हमें नैतिक सहयोग देता है.
अपनी ऑर्गनाइजेशन तरहीक-ए-हुर्रियत का हवाला देते हुए गिलानी ने कहा कि रमजान के महीने में लोग स्वेच्छा से हमारी पार्टी को फंड देते हैं और हमें अपनी मुहीम चलाने के लिए कहीं बाहर से पैसा लाने या मंगाने की जरूरत नहीं है.
गौरतलब है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस 26 धार्मिक और सामाजिक संगठनों की संस्था है जिसकी स्थापना 9 मार्च 1993 को हुई थी. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस कश्मीर को भारत से अलग करने की पुरजोर वकालत करता है.