हरियाणा के स्पोर्ट्स स्कूल में लाखों की घपलेबाजी, एक कप चाय के लिए लगाया 70 रुपये का बिल

हरियाणा में घपलेबाजी का नया मामला सामने आया है. वित्त विभाग की ओर से कराए गए स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट में मोतिलाल नेहरू स्पोर्ट्स स्कूल, राई में खेल और दूसरी जरूरी सामानों की खरीदारी में करोड़ों रुपये के अनियमितताओ का खुलासा हुआ है.

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हरियाणा के स्पोर्ट्स स्कूल में लाखों की घपलेबाजी, एक कप चाय के लिए लगाया 70 रुपये का बिल

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  • May 18, 2017 12:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
चंडीगढ़: हरियाणा में घपलेबाजी का नया मामला सामने आया है. वित्त विभाग की ओर से कराए गए स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट में मोतिलाल नेहरू स्पोर्ट्स स्कूल, राई में खेल और दूसरी जरूरी सामानों की खरीदारी में करोड़ों रुपये के अनियमितताओ का खुलासा हुआ है.
 
स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक सामान खरीदारी में करीब 3 करोड़ की अनियमितताओं से बड़ी बारीकी से घपलेबाजी को अंजाम दिया गया. रिपोर्ट की मानें तो साल 2016 में 1 अगस्त से 3 अगस्त तक चले खेल कार्यक्रम के दौरान एक चाय के कप के लिए 70 रुपये का भुगतान किया गया. इसके साथ ही एक आदमी के खाने के लिए 400 रुपये का भुगतान किया गया है. हालांकि कमेटी ने प्रति व्यक्ति 300 रुपये प्रति थाली मंजूर किए थे.
 
इस वित्त विभाग के स्पेशल ऑडिट पर खेल मंत्री अनिल विज ने कहा कि अगर ऐसा कुछ था तो उनको बताया जाना चाहिए था. इसके बाद वो अपने स्तर पर जांच कराते लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि अनियमितता की शिकायत पर वित्त विभाग ने अपने आप ही जांच शुरू कर दे जो कि सही नहीं है.
 
रिपोर्ट के गड़बड़ियों को उजागर करते हुए रिपोर्ट में बताया गया कि इस खेल कार्यक्रम के दौरान वो जीजें भी खरीदी गई जो कि पहले से ही स्टॉक में मौजूद थी. वहीं हायर अथॉरिटी से खरीद की मंजूरी से बचने के लिए जमकर बिल स्पलिट किए गए. मतलब की अगर कोई अधिकारी 50 हजार रुपये तक की खरीद ही कर सकता है और उसे 50 हजार से ज्यादा की खरीद करनी है तो वो 50 हजार के अलावा ऊपर के भुगतान के लिए अलग बिल बनावा लेंगे. इससे अपने लेवल पर खरीद भी हो जाती और हायर अथॉरिटी की अनुमति भी नहीं लेनी पड़ती.
 
55 बिल
रिपोर्ट में पाया गया कि अंबाला की एक स्पोर्ट्स शॉप से 23.33 लाख रुपए के खेल के सामानों की खरीद की गई. इस पूरी खरीद के लिए 55 बिल बनावाए गए. इसमें 21 बिल ऐसे पाए गए जिसके लिए कम्युटेशन लेनी जरूरी थी लेकिन नहीं ली गई. मामला यहीं शांत नही हो जाता. रिपोर्ट में पाया गया कि एक डिजिटल कंपनी को 32 हजार रुपए चुकाए गए और इनको बिल में दो बार दिखाया गया है. 
 
बिना मंजूरी के पैसा खर्च
फर्जीवाड़ा की पोल खुलती गई तो पीछे के फंड के बारे में भी खुलासा हुआ. मसलन जो फंड 2015-16 के खर्च के लिए मंजूर किया गया था. उसके अगले साल बिना मंजूरी के खर्च नहीं किय जा सकता था. हालांकि यहां तो बिना किसी डर के उसे भी खर्च किया गया है. इसके साथ ही स्कूल रिकॉर्ड की जांच भी हुई. रिकार्ड में पाया गया कि 20 जनवरी 2016 को स्कूल के पास 348 टेनिस बॉल थीं. इसके बावजूद 29 फरवरी को 420 टेनिस बॉल की खरीद की गई है और इसके लिए 1 लाख 19 हजार रुपए चुकाए गए हैं.
 
बिल में खरीद लेकिन हकीकत कुछ और
मामला यहीं नहीं थमता. स्कूल ने 29 मार्च 2016 को 42 कुर्सी की भी खरीदी की है. लेकिन स्पेशल ऑडिट के वक्त पाया गया कि इन कुर्सी की बिल तो था लेकिन हकीकत में कुर्सी का स्टॉक ही नहीं था. इसके अलावा 2016-17 में 7वीं से 12वीं तक की 2 लाख से ज्यादा की किताबें खरीदी गई लेकिन 31 जनवरी 2017 तक किताब छात्रों को नहीं दी गई.
 
टैक्स पर भी संदेह
इसके अलावा रिपोर्ट में इस बात का संदेह भी जताया गया है कि वेट और सीएसटी को लेकर भी फर्जीवाड़ा किया हो सकता है. क्योंकि जो टिन नंबर बताए गए थे जांच में वे सही नहीं मिले. जिसको लेकर टैक्स की गड़बड़ी भी मानी जा रही है. 

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