बाहुबली का किला तो आप सच में नहीं देख पाएंगे, मगर कुछ वैसा ही देखना है तो रणकपुर का रुख करें

आज कल बाहुबली की धूम चारों तरफ दिख रही है. बाहुबली फिल्म ही कुछ ऐसी है कि हर कोई इसका दीवाना है. इस फिल्म के दोनों सीरिज में सिर्फ किरदार ही दमदार नहीं थे, बल्कि फिल्म का पूरा सेटअप भी दमदार था. बाहुबली के किले ने तो लोगों का दिल ही जीत लिया. माहिष्मति साम्राज्य के इस भव्य और विशाल किले को तो आप रियल लाइफ में शायद कभी भी नहीं देख पाएंगे, मगर आपके अंदर ऐसे ही भव्य किले की देखने की हसरत है, तो आप राजस्थान का रूख कर सकते हैं.

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बाहुबली का किला तो आप सच में नहीं देख पाएंगे, मगर कुछ वैसा ही देखना है तो रणकपुर का रुख करें

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  • May 18, 2017 11:32 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
उदयपुर:  आज कल बाहुबली की धूम चारों तरफ दिख रही है. बाहुबली फिल्म ही कुछ ऐसी है कि हर कोई इसका दीवाना है. इस फिल्म के दोनों सीरिज में सिर्फ किरदार ही दमदार नहीं थे, बल्कि फिल्म का पूरा सेटअप भी दमदार था. बाहुबली के किले ने तो लोगों का दिल ही जीत लिया. माहिष्मति साम्राज्य के इस भव्य और विशाल किले को तो आप रियल लाइफ में शायद कभी भी नहीं देख पाएंगे, मगर आपके अंदर ऐसे ही भव्य किले की देखने की हसरत है, तो आप राजस्थान का रूख कर सकते हैं.
 
जी हां, जैन धर्म के पांच सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है राजस्थान में अरावली पर्वत की घाटियों के बीच स्थित रणकपुर का जैन मंदिर. इस मंदिर की अपनी कई विशेषताएं, जिसके कारण पर्यटक भारी संख्या में यहां खींचे चले आते हैं.
 
 
कहा जाता है कि चारों तरफ से जंगलों से घिरे होने के कारण इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है. इतना ही नहीं, कहा तो ये भी जाता है कि भारत में जितने भी जैन मंदिर हैं, उन सभी में इस मंदिर की इमारत सबसे विशाल और भव्य है. 
 
 
रणकपुर मंदिर उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर पाली जिले में स्थित है. बताया जाता है कि इस भव्य जैन मंदिर का निर्माण 1439 ई में किया गया था. खास बात ये है कि ये मंदिर करीब 484000 वर्ग फुट में फैला है और इसे बनाने में 99 लाख रुपये का खर्च आया था.  
 

 
टूरिस्ट्स के बीच ये मंदिर काफी लोकप्रिय है. इस मंदिर की भव्यता टूरिस्टों का मन मोह लेती है. यहां जाकर लोग सुकून महसूस करते हैं. 
 
 
इस मंदिर का एक अनोखा इतिहास है. रणकपुर का नाम महाराणा कुम्भा के नाम पर है, ये मेवाड़ के शासक थे, जिन्होंने एक मंदिर के निर्माण के लिए अपनी जमीन की पेशकश की थी. बताया जाता है कि इन्होंने एक दिव्य सपना देखा था, जिसके बाद उन्होंने एक जैन व्यापारी धर्ना शाह को जमीन भेंट कर दी और उन्होंने अपने संरक्षण में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया. 
 
 
इस मंदिर में चारों तरफ से द्वार हैं. इस मंदिर के बीच में प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ की मूर्ति स्थापित है. बाकी तीर्थंकर के भी मंदिर हैं यहां पर. इसे रणकपुर का चौमुखा मन्दिर कहा जाता है. 
 
 
सच कहूं तो अगर आप शांति और सुकून के लिए भी कहीं घूमने जाना चाहते हैं, तो रणकपुर मंदिर आपके लिए सबसे बेस्ट ऑप्शन होगा. इस जगह की खास बात ये है कि ये ज्यादा खर्चीला भी नहीं है. यहां पर पांच सौ से हजार रुपये में आपको ठहरने के लिए कमरे मिल जाएंगे. 
 
 
प्रकृति प्रेमी और एडवेंचर में विश्वास रखने वालों के लिए ये जगह बिलकुल अनुकूल है. यहां अरावली की पहाड़ियों से आप बेहतरीन नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं.
 
 
यहां जाने के लिए जयपुर, जोधपुर या उदयपुर से बस और अन्य गाड़ियां भी मिलती हैं. यहां जाने के लिए उदयपुर तक आप ट्रेन से भी जा सकते हैं और वहां से फिर बस या कार लेकर पहुंच सकते हैं. उदयपुर से दो या तीन घंटे के सफर में 60-70 रुपये खर्च कर आप इस जगह का लुत्फ उठा सकते हैं. 
 
 
बता दें कि गर्मी के मौसम में यहां का तापमान अधिक होता है. इसलिए घूमने जाने के लिए सर्दी का मौसम बेहतर माना जाता है. जनवरी, फरवरी और मार्च का महीना यहां घूमने के लिए आपके लिए बेहतर होगा.
 
 
दोस्तों, आप इसे सिर्फ मंदिर समझने की भूल मत करें. ये मंदिर किसी किले से कम नहीं है. माहिष्मति साम्राज्य का किला नहीं देखा तो क्या हुआ, आप इस भव्य इमारत को देखकर उसकी हसरतें पूरी कर सकते हैं.

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